मनोहर पर्रिकर ने देशहित में लिए थे ये बड़े फैसले
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को निधन हो गया। भारत के रक्षा मंत्री के रूप में भी उन्होंने काम किया था। बतौर रक्षामंत्री उनका कार्यकाल छोटा था लेकिन भारत की कई अहम सफलताओं में उनका नाम जुड़ा हुआ है।
नई दिल्ली। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को निधन हो गया। भारत के रक्षा मंत्री के रूप में भी उन्होंने काम किया था। बतौर रक्षामंत्री उनका कार्यकाल छोटा था लेकिन भारत की कई अहम सफलताओं में उनका नाम जुड़ा हुआ है। पर्रिकर 2014 से 2017 तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट में रक्षा मंत्री रहे। मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा- ‘जब पर्रिकर रक्षा मंत्री थे तो भारत ने कई फैसले लिए जिसने देश की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाया, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ाया और पूर्व सैनिकों के जीवन को बेहतर बनाया।’
फ्रांस के साथ राफेल डील से लेकर पाकिस्तान के ऊपर सर्जिकल स्ट्राइक तक, ऐसे कई फैसलों के वक्त वे देश के रक्षा मंत्री थे और उनके ऊपर काफी बड़ी जिम्मेदारी थी। उन्होंने इसे बखूबी निभाया। भारत ने 2016 में फ्रांस के साथ 36 राफेल विमान खरीदने के लिए डील किया था। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने पर्रिकर के निधन पर ट्वीट करते हुए जब लिखा तो उन्होंने यह भी कहा- “वे सरल और जमीनी थे, मैंने श्री पर्रिकर से काफी कुछ सीखा।
Shri Manohar Parrikar is no more. A sincere, honest & sensitive political activist. Was simple and down to earth, I learnt a lot from Shri.Parrikar. As Raksha Mantri his contribution to making the armed forces a modernised, lean & mean fighting machine will remain unparalleled.
— Chowkidar Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) March 17, 2019
रक्षामंत्री के रूप में सशस्त्र बलों को एक आधुनिक, चुस्त-दुरुस्त लड़ाकू मशीन बनाने में उनका योगदान अद्वितीय बना रहेगा।“
उरी में हुए आतंकी हमले में 19 सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत ने सितंबर 2016 में पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक किया था। पर्रिकर ने रक्षा मंत्री रहते हुए यह भी सुनिश्चित किया था कि भारतीय वायुसेना को जल्द से जल्द देश में बने हुए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस मिल जाए।
पर्रिकर ने सैनिकों को वन रैंक, वन पेंशन स्कीम (ओआरओपी) दिलाने के लिए भी मदद की। उनका मानना था कि मोदी ने अगर वादा किया है तो सैनिकों को ये मिलना चाहिए। आखिरकार सरकार ने वित्त मंत्रालय के साथ मतभेदों के बावजूद इसे लागू किया।
पर्रिकर ने आर्मी के हथियारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए शेकटकर कमिटी की सिफारिश को लागू करने का फैसला भी किया था।