नई दिल्ली। जून का दूसरा प्रदोष व्रत 22 जून, दिन मंगलवार को पड़ रहा है। दक्षिण भारत में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इसे प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। जो चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है जिसमें से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है।
मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। मंगलवार का दिन हनुमान जी का होता है। हनुमान जी को भी भगवान शिव का अवतार माना जाता है। ऐसे में इस दिन भगवान शंकर के साथ हनुमान जी की उपासना का शुभ संयोग बन रहा है।
प्रदोष व्रत के दिन बन रहे 2 खास संयोग
प्रदोष व्रत के दिन सिद्धि व साध्य योग बन रहे हैं। सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक सिद्धि योग रहेगा। इसके बाद साध्य योग लग जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सिद्धि व साध्य योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है। ये मांगलिक व शुभ कार्यों के लिए शुभ योग हैं।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
इस दिन जल्दी उठकर स्नानादि करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। उन्हें चंदन, फूल, अक्षत, रोली और धूप आदि चढ़ाएं। माता पावर्ती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं। इसके अलावा इस दिन भगवान शिव की चालिसा और आरती का भी जाप करना चाहिए।