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अनंत चतुर्दशी आज, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और अनंत सूत्र बांधने का कारण

देश में आज यानि मंगलवार को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) मनाई जा रही है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है।

नई दिल्ली। देश में आज यानि मंगलवार को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) मनाई जा रही है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान के अनंत स्वरूप के लिए लोग व्रत भी रखते हैं। इस दिन अनंत सूत्र बांधा जाता है। स्त्रियां दाएं हाथ और पुरुष बाएं हाथ में अनंत सूत्र धारण करते हैं। माना जाता है कि अनंत सूत्र पहनने से सभी दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही इसी दिन गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) भी किया जाता है।

भक्त धूमधाम से नाचते गाते हुए गणपति बप्पा को 10 दिन बाद विदा कर देते हैं। इस दौरान माहौल गणपति बप्पा मोरया की ध्वनी से गूंज उठता है। इस दिन को अनंत चौदर से नाम से भी जाना जाता है।

अनंत चतुर्दशी 2020

हिंदू कैलेंडर के अनुसार अनंत चतुर्दशी हर साल भादो माह शुक्ल पक्ष की चौदस यानी कि 14वें दिन मनाई जाती है। इस साल अनंत चतुर्दशी 1 सितंबर को मनाई जा रही है। ग्रौगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह सितंबर के महीने में मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी के 10 दिन बाद, 11वें दिन ही अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है।

lord vishnu

शुभ मुहूर्त

अनंत चतुर्दशी की तिथि: 1 सितंबर 2020

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 31 अगस्त 2020 को सुबह 08 बजकर 48 मिनट से

चतुर्दशी तिथि समाप्‍त: 1 सितंबर को सुबह 09 बजकर 38 मिनट तक

महत्व

हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व माना जाता है। यह भगवान विष्णु की अनंत रूप में उपासना का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है। ये सूत्र रेशम या फिर सूत का होता है। इस सूत्र में 14 गांठें होती हैं। माना जाता है कि भगवान ने 14 लोक बनाए थे। जिनमें, सत्य, तप, जन, स्वर्ग, भुव, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल शामिल हैं। कहा जाता है कि अपने बनाए इन लोकों की रक्षा के लिए ही उन्होंने अलग-अलग 14 अवतार लिए थे।

मान्यता

मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन विष्णु भगवान के अनंत स्वरूप की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। ये भी माना जाता है कि इस दिन व्रत करने के साथ अगर सच्चे मन से विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ किया जाए तो धन-धान्य, उन्नति-प्रगति, खुशहाली और संतान का सौभाग्य प्राप्त होता है। इसी दिन गणेश विसर्जन के साथ गणेश उत्सव का भी समापन हो जाता है। वहीं, जैन धर्म में इस दिन को पर्यषुण पर्व के अंतिम दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पूजा विधि

अग्नि पुराणों में अनंत चतुर्दशी के महात्मय का वर्णन मिलता है। इस दिन भक्त व्रत रख कर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का पूजन करते हैं। इस व्रत की पूजा दिन के समय की जाती है। तो चलिए जल्दी से जानते हैं कि इस व्रत की पूजा विधि क्या है।

सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें और व्रत का संकल्प करें। इसके बाद अपने मंदिर में एक कलश स्थापित करें। कलश पर अष्ट दलों वाला कमल रखें और कुषा का सूत्र चढ़ाएं। आप चाहें तो भगवान विष्णु की भी पूजा कर सकते हैं। अब कुषा के सूत्र को सिंदूरी लाल रंग, केसर और हल्दी में भिगोकर रखें। इस सूत्र में 14 गांठें लगाकर भगवान विष्णु को दिखाएं। इसके बाद सूत्र की पूजा करें और इस मंत्र को पढ़ें-

अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।

अब भगवान विष्णु की प्रतिमा की पूजा करें। पूजा के बाद हाथ में सूत्र बांधे। पुरुष इस सूत्र को बाएं हाथ और महिलाएं दाएं हाथ में बांधें। सूत्र बांधने के बाद यथा शक्ति ब्राह्मण को भोज कराएं और पूरे परिवार के साथ खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।