नई दिल्ली। सुहागिन स्त्रियों का सबसे जरूरी श्रृंगार होता है सिंदूर। आज कल भले ही मंगलसूत्र न पहना जाए लेकिन सिंदूर लगाना जरूरी होता है लेकिन आज की आधुनिकता में विवाहित स्त्रियों ने सिंदूर लगाना भी छोड़ दिया है। बॉलीवुड की कई एक्ट्रेसेस हैं, जो शादीशुदा होने के बाद भी सिंदूर नहीं लगती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिंदूर लगाने के भी अपने नियम और कानून होते हैं। कितनी बार सिंदूर लगाना चाहिए, कितना लगाना चाहिए और कब लगाना चाहिए..इन नियमों का ध्यान सुहागन स्त्रियों को जरूर रखना चाहिए। तो चलिए सिंदूर लगाने के सही नियमों को जानते हैं।
सिंदूर लगाने के नियम
1. पहला नियम ये कहता है कि जब भी कोई स्त्री श्रृंगार करती है तो उसे ये सब छिपकर करना चाहिए। मांग में सिंदूर भरते वक्त महादेव का नाम लेना चाहिए और अकेले में सिंदूर लगाना चाहिए। इससे सुहाग पर किसी की गलत नजर नहीं पड़ती है।
2. शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि विवाहित स्त्रियों को मांग के बीच में सिंदूर को भरना चाहिए। इससे पति की आयु लंबी होती लेकिन अगर स्त्री बीच के मांग की छोड़ साइड में सिंदूर भरती है, तो इससे पति और पत्नी के बीच दूरी उत्पन्न होती है।
3. जो स्त्रियां सिंदूर को बीच की मांग में भरकर छिपा लेती है, उनके पतियों को कार्यक्षेत्र में सफलता नहीं मिलती है और समाज में उनका मान-सम्मान कम होता है।
4. कई महिलाएं एक बार ही सिंदूर लगाती है। एक बार में जितना भी सिंदूर आए उसे लगा लेती हैं, लेकिन ये गलत है। सिंदूर को कम से कम तीन बार मांग में भरना चाहिए।
5. अगर गलती से आपका सिंदूर आपके हाथ से गिर गया है तो उस पर पैर लगाने से बचे। सिंदूर को बेहद संभालकर रखे। कोशिश करें की कागज की सहायता से सिंदूर को वापस भर लें और सिंदूर को फेंके नहीं।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकरियों की न्युजरूमपोस्ट पूरी तरह से पुष्टि नहीं करता है। अर्थात इसे अपनाने से पहले इस क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।