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ऐसे करें प्रभु श्रीकृष्ण की पूजन जन्माष्टमी पर…

पूजा से पहले हाथों को गंगा जल से धोना ना भूलें। बाल गोपाल की पूजा में पहले खुद हाथ साफ जल से धोएं, इसके बाद श्रीकृष्ण के हाथों के लिए जल अर्पित करना चाहिए।

नई दिल्ली। इस दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत या पूजा का संकल्प लें। दिन भर जलाहार या फलाहार ग्रहण करें, सात्विक रहें। मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखें। उस प्रतिमा को पहले दूध, दही, शहद, शर्करा और फिर अंत में घी से स्नान कराएं इसी को पंचामृत स्नान कहते हैं। इसके बाद सबसे पहले गणेशजी की विधिवत पूजा करें। श्रीकृष्ण की पूजा की व्यवस्था करें। ध्यान रहे पूजा से पहले हाथों को गंगा जल से धोना ना भूलें। बाल गोपाल की पूजा में पहले खुद हाथ साफ जल से धोएं, इसके बाद श्रीकृष्ण के हाथों के लिए जल अर्पित करना चाहिए।

Janmashtami

ऐसे करें भगवान श्रीकृष्ण की पूजन

पूजा से पहले स्नान जरूर करें। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा का विधान है। पूजा करने से पहले भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान जरूर करवाएं। स्नान के बाद भगवान को वस्त्र पहनाएं। ध्यान रहें कि वस्त्र नए हो। इसके बाद उनका श्रृंगार करें। भगवान को फिर भोग लगाएं और कृष्ण आरती गाएं। भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: का जाप करते रहना चाहिए। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। पूजन में श्रीकृष्ण को दूर्वा, कुमकुम, चावल, अबीर, सुगंधित फूल और शुद्ध जल अर्पित करना चाहिए।

भगवान कृष्ण (लड्डू गोपाल) के अभिषेक के लिए शाम 5:40 से 6:04 बजे के बीच गौधूलि वेला में शुभ समय ऊत्तम होगा। 11 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन रात्रि 11:41 बजे होगा और 12 को रात 12:18 पर चंद्रोदय होगा। गाय के दूध दही और माखन से करें लड्डू गोपाल का अभिषेक। जन्माष्टमी का व्रत चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही खोला जाता है। लड्डू गोपाल का पीताम्बरी (पीले वस्त्र) और मोर पंख से श्रृंगार करें।

यह रहेगा जन्माष्टमी पर विशेष पूजन व संकीर्तन का मुहूर्त

लाभ अमृत मुहूर्त सुबह 10:46 से दोपहर 2:05 तक

शुभ मुहूर्त तीसरे पहर 3:44 से शाम 5:24 तक

लाभ मुहूर्त रात 8:24 से रात 9:44 तक

जन्म, अभिषेक-आरती मध्य रात्रि 12:04 से 12:47 तक

कैसे प्रभु श्रीकृष्ण का श्रृंगार?

श्री कृष्ण के श्रृंगार में फूलों का खूब प्रयोग करें। पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से इनका श्रृंगार करें। श्री कृष्ण के श्रृंगार में इस बात का ध्यान रखें कि वस्त्र से लेकर गहनों तक कुछ भी काला नहीं होना चाहिए। काले रंग का प्रयोग बिल्कुल न करें। वैजयंती के फूल अगर कृष्ण जी को अर्पित किए जाएं तो सर्वोत्तम होगा।

क्या करें प्रसाद में अर्पित?

जन्माष्टमी के प्रसाद में पंचामृत जरूर अर्पित करें। उसमें तुलसी दल भी जरूर डालें। मेवा, माखन और मिसरी का भोग भी लगाएं। कहीं-कहीं धनिये की पंजीरी भी अर्पित की जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण को पूर्ण सात्विक भोजन अर्पित किए जाते हैं, जिसमें तमाम तरह के व्यंजन हों।

कैसे करें मूर्ति का चुनाव?

सामान्यतः जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है। आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं। प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा-कृष्ण की, संतान के लिए बाल कृष्ण की और सभी मनोकामनाओं के लिए बंसी वाले कृष्ण की स्थापना करें। इस दिन शंख और शालिग्राम की स्थापना भी कर सकते हैं।