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जानिए क्या कहता है आपका अंगूठा आपके बारे में

किसी भी जातक का अंगूठा भी उसके  स्वभाव और भविष्य से जुड़ी कई बातें बता सकता है।हस्तरेखीय ज्योतिष अंगूठे को ज्ञान का पिटारा कहता है जिसके हरेक पोर में व्यक्ति के विषय में काफी रहस्य छुपा होता है। इस पिटारे की एक मात्र चाभी है हस्त रेखा विज्ञान का सूक्ष्म ज्ञान अर्थात जिसने हस्तरेखा विज्ञान का सूक्ष्मता से अध्ययन किया है वह इस पर लगा ताला खोल सकता है।

किसी भी जातक का अंगूठा भी उसके  स्वभाव और भविष्य से जुड़ी कई बातें बता सकता है।हस्तरेखीय ज्योतिष अंगूठे को ज्ञान का पिटारा कहता है जिसके हरेक पोर में व्यक्ति के विषय में काफी रहस्य छुपा होता है। इस पिटारे की एक मात्र चाभी है हस्त रेखा विज्ञान का सूक्ष्म ज्ञान अर्थात जिसने हस्तरेखा विज्ञान का सूक्ष्मता से अध्ययन किया है वह इस पर लगा ताला खोल सकता है। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि यदि आप भी अगर हस्तरेखा विज्ञान को गहराई से समझने के इच्छुक हैं तो आपको भी अंगूठे पर दृष्टि जमानी होगी अन्यथा इस शास्त्र में आप कच्चे रह जाएंगे अर्थात ‘अंगूठा टेक ही रह जाएंगे।

किसी भी जातक के हाथ का अंगूठा देखकर उस व्यक्ति के चरित्र को पहचाना जा सकता है। शास्त्रों के मुताबिक अंगूठा वह धुरी है, जिस पर इंसान का पूरा जीवन चक्र घूमता रहता है। कहा जाता है सफलता दिलवाने के लिए अंगूठा सुडौल, सुंदर और संतुलित होना चाहिए। शास्त्रों में अंगूठे को मस्तिष्क का केंद्र बिंदु बताया गया है। अंगूठे का पहला पोर इंसान की मजबूत इच्छाशक्ति का सूचक होता है। दूसरा पोर तर्क और कारण का तथा तीसरा इंसान के मनोविकार को प्रकट करता है।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि अंगूठे की जड़ से व्यक्ति के आचरण को जाना जा सकता है। कहा जाता है अंगूठे की जड़ में जितनी सीधी रेखाएं होती है उसके उतनी ही संतान होती है। जिन महिलाओं के अंगूठे पर तारे का निशान बना हो तो वह बहुत भाग्यशाली मानी जाती है। इसके अलावा अंगूठे की जड़ से कोई एक रेखा शुक्र के ऊपर से होकर आयु रेखा से मिल जाए तो यह बहुत ज्यादा धन मिलने की ओर इशारा करती है।

लंबे अंगूठे के साथ अगर उंगलियां वर्गाकार या फैली हुई हों तो ऐसे लोग अच्छे गणित के प्रोफैसर, वैज्ञानिक, शिल्पकार या इंजीनियर हुआ करते हैं। अगर उंगलियों के सिरे कोनिक या नुकीले हों तो ऐसे व्यक्ति काव्य तथा कला के दीवाने होते हैं। अगर अंगूठे की आकृति केले के समान हो तो वह अंगूठा अविकसित कहलाता है। ऐसे अंगूठे वाले व्यक्ति क्रूर एवं विद्रोही स्वभाव के होते हैं।

अंगूठा हमारी पूरी हथेली का प्रतिनिधित्व करता है और यह इच्छा शक्ति एवं मन को बल प्रदान करता है। हस्तरेखा शास्त्र यानी पामिस्ट्री में तो अंगूठे के हर पोर का विशेष महत्व है।

अंगूठे के विषय में जानकारी हासिल करने के लिए सबसे पहले तो आप अपना अंगूठा गौर से देखिये, आप देखेंगे कि अंगूठा हड्डियों के दो टुकड़ों से मिलकर बना है और अन्य उंगलियो की तरह इसके भी तीन पर्व यानी पोर हैं। इसके तीनों ही पर्व व्यक्ति के विषय में अलग अलग कहानी कहती है।

हस्त रेखा शास्त्र में अंगूठे का अत्यधिक महत्व है। अंगूठा तीन अस्थि खंडों से मिलकर बनता है। हथेली से बाहर निकला हुआ पहला खंड तर्क शक्ति को, दूसरा खंड दृढ़ इच्छा शक्ति को तथा तीसरा एवं अंतिम खंड विशुद्ध चरित्र को बतलाता है।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार किसी जातक के अंगूठे का छोटा होना उसके अविकसित व्यक्तित्व को बताता है, जबकि लंबा अंगूठा जीवन कार्यों में वृद्धि का अधिक उपयोग करने का द्योतक होता है। अंगूठे का बहुत ज्यादा छोटा होना काफी अशुभ माना जाता है। अपराधी प्रवृत्ति वालों का अंगूठा काफी छोटा होता है। जिन व्यक्तियों का अंगूठा आसानी से पीछे की ओर मुड़ जाता है तथा लचीला होता है, ऐसा अंगूठा सफलता का संकेत होता है।

सामुद्रिक शास्त्र कहता है कि  हमारा अंगूठा तीन भागों में विभक्त रहता है

प्रथम भाग ऊपर वाला, फिर मध्यम भाग और अंतिम भाग। ये तीनों भाग रेखाओं से विभाजित रहते हैं। यदि पहला भाग अधिक लंबा हो तो व्यक्ति अच्छी इच्छा शक्ति वाला होता है। वह किसी पर निर्भर नहीं होता। ऐसे अंगूठे वाले लोग किसी भी का र्य को पूरी स्वतंत्रता के साथ करना पसंद करते हैं और इन्हें सफलता भी प्राप्त हो जाती है। पंडित दयानन्द शास्त्री जी आज आपको अंगूठे के आधार पर व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य से जुड़ी कुछ विशेष बातें बताएंगे।

जानिए अंगूठे के दो भाग के बारे में

यदि आपने कभी गौर किया हो तो आपको पता होगा कि हमारे हाथ की चारों अंगुलियों को तो प्राकृतिक रूप से तीन भागों में बांटा गया है, लेकिन अंगूठे के दो ही भाग हैं। अंगूठे के ऊपरी भाग से यह पता लगाया जा सकता है कि जातक अपने जीवन को या किसी भी कार्य को लेकर कितना गंभीर रहता है। और अंगूठे का निचला हिस्सा उसके दिमाग की तेजी बयां करता है।

अंगूठे का नीचे का भाग

कहते हैं कि यदि अंगूठे का नीचे का भाग ऊपरी भाग से छोटा हो तो वह जातक कभी भी जीवन में कोई फैसला लेने से पहले अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल नहीं करता। लेकिन यदि यह भाग बड़ा हो तो ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान माना जाता है।

सर्वश्रेष्ठ अंगूठा

एक सर्वश्रेष्ठ अंगूठा काफी लंबा होना चाहिए, इतना लंबा ताकि वह हमारे हाथ की पहली अंगुली के ऊपरी जोड़ तक पहुंच पाए। साथ ही ऐसा अंगूठा ना अधिक लचीला होना चाहिए और ना ही कठोर होना चाहिए। देखने में भी यह अंगूठा एकदम सही आकार का हो, तभी इसे सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा। जिसके भी हाथ का अंगूठा ठीक ऐसा हो वह इंसान बेहद बुद्धिमान, तार्किक और हर तरह से ताकतवर होता है।

यदि अंगूठे के पहले पर्व (भाग) पर आड़ी रेखाएं होती हैं तो व्यक्ति को जीवन में महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भाग्य का साथ मिलता है। ऐसे लोगों को धन संबंधी कार्यों में कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।

यदि किसी व्यक्ति की हथेली में अंगूठे के पहले भाग पर बहुत सी खड़ी रेखाएं होती हैं तो वह ईमानदार और भरोसेमंद होता है।

जिन लोगों की हथेली में अंगूठे के पहले पर्व पर तीन खड़ी रेखाएं होती हैं, उनकी इच्छा शक्ति प्रबल होती है और इनका दिमाग भी बहुत तेज चलता है।

समुद्रशास्त्र के अनुसार जिन व्यक्तियों का अंगूठा छोटा और मोटा होता है वह बड़े ही क्रोधी होते हैं। ऐसे व्यक्ति बुद्घि और विवेक की बजाय भावुकता से काम लेते हैं। ऐसे व्यक्तियों को सफलता के लिए बौद्घिकता योग्यता को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

जिन व्यक्तियों के अंगूठे का ऊपरी भाग अधिक पतला होता हैं

उनमें आत्मबल की कमी होती है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की बातों और विचारों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। इनमें निर्णय क्षमता की कमी होती है।

जिन व्यक्तियों के अंगूठे का दूसरा पोर पहले और तीसरे पोर से अधिक पतला होता है, पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार ऐसे जातक बड़े ही समझदार और दूरदर्शी होते हैं।ऐसे व्यक्ति कोई भी निर्णय सोच-समझकर उठाते हैं। इनमें अच्छे सलाहकार के गुण पाए जाते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज और परिवार में सम्मानित होते हैं।

समुद्रशास्त्र में बताया गया है कि जिस व्यक्ति के अंगूठे का तीसरा पोर यानी यानी ऊपरी भाग अधिक मोटा होता है

वह बहुत ही चालक और जिद्दी व्यक्ति होता है।ऐसे व्यक्ति में भावुकता की कमी रहती है। यह अपने मतलब और फायदे को ध्यान में रखकर ही दूसरों की सहायता करते हैं या उनसे नाता रखते हैं।

जिन व्यक्तियों का अंगूठा लचीला होता है और पीछे के ओर मुड़ जाता है वह लचीले स्वभाव वाले व्यक्ति होते हैं। ऐसे व्यक्तियों में परिस्थिति के अनुसार खुद को ढाल लेने की योग्यता होती है। इन खूब धन कमाने की चाहत होती है लेकिन प्रयास करने पर भी धन बचाना इनके लिए कठिन होता है।यह अपने समय को बेकार नष्ट करने की बजाय कुछ उपायोगी कामों में लगाना पसंद करते हैं। इनके स्वभाव में एक कमी यह होती है कि दूसरों की बातों से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं और जल्दी भावुक हो जाते हैं।

हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की हथेली में सामान्य से छोटे अंगूठा होता है, वे लोग निर्बल हो सकते हैं। ऐसे लोगों की कार्य क्षमता काफी कम होती है और हर कार्य को बहुत धीरे-धीरे करते हैं।

जिन लोगों के अंगूठे के पहले पर्व पर क्रॉस का निशान होता है, वे बहुत अधिक खर्चीले होते हैं। ये लोग अधिक व्यय के कारण परेशानियों का सामना करते हैं।

यदि अंगूठा का मध्यम भाग अधिक लंबा हो तो व्यक्ति की तर्क शक्ति काफी उन्नत होती है। तर्क शक्ति के कारण इन लोगों का दिमाग भी काफी तेज चलता है। अपनी बुद्धि के बल पर इन्हें समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।

यदि अंगूठे के दूसरे पर्व पर कोई गोलाकार निशान हो तो व्यक्ति बहुत अधिक बहस करने वाला होता है।

यदि किसी व्यक्ति की हथेली में अंगूठे के दूसरे पर्व पर तीन खड़ी रेखाएं होती हैं तो व्यक्ति की तर्क शक्ति अच्छी रहती है। जबकि यहां आड़ी रेखाएं होती हैं तो व्यक्ति कुतर्क करने वाला हो सकता है।

यदि किसी व्यक्ति के अंगूठे के दूसरे पर्व पर त्रिभुज का निशान बना हो तो व्यक्ति विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाला होता है।

यदि किसी व्यक्ति के अंगूठे के दूसरे पर्व पर जाली का निशान बना हो तो व्यक्ति चरित्र का अच्छा नहीं माना जाता है। सामान्यत: ऐसे लोग बेईमान भी हो सकते हैं।

हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार जो लोग बुद्धिमान और चतुर होते हैं, उनका अंगूठा सुंदर और आकर्षक होता है। ये लोग किसी भी काम को चतुराई के साथ पूर्ण करते हैं और लाभ भी कमाते हैं।

अंगूठे का अंतिम भाग यानी शुक्र पर्वत (अंगूठे एकदम नीचे वाले भाग से लगा हुआ शुक्र पर्वत होता है।) के पास वाला भाग अधिक लंबा हो तो व्यक्ति अति कामुक होता है।

जिन व्यक्तियों का अंगूठा गेंद के समान सिरे वाला होता है तथा नाखून संकरे होते हैं, वे अपराधी प्रवृत्ति वाले होते हैं। ऐसे लोग प्राय: स्वार्थी, कामुक, अस्थिर मन वाले, हृदयहीन एवं व्यभिचारी हुआ करते हैं। अगर महिलाओं का अंगूठा लंबा हो तो वे सांसारिक गुणों से भरपूर सफल पत्नी हुआ करती हैं।

ऐसे अधिकांश लोग जिनकी हथेली में अंगूठा छोटा, बेडौल और सामान्य से अधिक मोटा होता है, वे सामान्यत: असभ्य और दूसरों का निरादर करने वाले होते हैं। ऐसे लोग कई बार क्रूर भी हो जाते हैं और दूसरों को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

जिस व्यक्ति का अंगूठा सामान्य से ज्यादा लंबा और हथेली के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ होता है, वह सर्वगुण संपन्न होता है। इन लोगों में घर-परिवार और समाज के बीच घुल-मिलकर रहने के सभी गुण होते हैं। इन्हें उचित मान-सम्मान प्राप्त होता है।

जो लोग अधिक कल्पनाशील होते हैं, सामान्यत: उनकी हथेली में अंगूठा लचीला होता है। लचीला अंगूठा आसानी से पीछे की ओर मुड़ जाता है। ऐसे लोग अधिक खर्चीले भी होते हैं। इन्हें हर काम को कलात्मक ढंग से करना पसंद होता है।

हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार सामान्यत: जिन लोगों का अंगूठा अधिक मोटा होता है, उनका स्वभाव अच्छा नहीं माना जाता है।

चपटे अंगूठे वाले लोग निराशजनक स्वभाव वाले होते हैं। जबकि, जिन लोगों के अंगूठे अधिक चौड़े होते हैं, वे क्रोधी स्वभाव के होते हैं।

जिन लोगों का अंगूठा बड़ा होता है, वे कलात्मक स्वभाव के होते हैं। जिन लोगों का अंगूठा पतला होता है, वे अपने स्वभाव के कारण घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं।

जो लोग अपनी दोनों हथेलियों के अंगूठों को उंगलियों में दबाकर कर रखते हैं, ऐसे अधिकांश लोग डरपोक होते हैं। ऐसा करने वाले व्यक्ति में आत्म विश्वास की कमी होती है। ये लोग हर कार्य को डरते-डरते करते हैं। इन्हें कार्यों में सफलता मिलने में भी संदेह रहता है।