Durga Pooja: शारदीय नवरात्र में इस वाहन पर हो रहा है मां दु्र्गा का आगमन और इस वाहन से करेंगी प्रस्थान
Durga Pooja: शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) का आरंभ तुला संक्रांति (Tula Sankranti) के साथ हो रहा है। लेकिन इसके साथ ही इस वर्ष कुछ ऐसे भी संयोग बन गए हैं जिनको लेकर ज्योतिषी आशंकित हैं कि आने वाले एक साल में देश दुनिया में काफी उथल-पुथल हो सकता है। इन दिनों राहु केतु की स्थिति भी अनुकूल नहीं है।
इस वर्ष 17 अक्टूबर (शनिवार) को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इस दिन से शारदीय नवरात्र 2020 का शुभारम्भ होने जा रहा है। जो 25 अक्टूबर ( रविवार) को समाप्त हो जाएगा। यही वजह है कि इस बाद नवरात्र में 8 दिनों की पूजा और 9वें दिन वसर्जन हो जाएगा। अबकी बार पुरुषोत्तम मास की वजह से पितृपक्ष और नवरात्र के बीच में एक महीने का अंतराल आ गया है।
इस वर्ष वर्तमान प्रमादी नामक संवत्सर के शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्लपक्ष प्रतिपदा का आरम्भ शनिवार को चित्रा नक्षत्र तथा चंद्रमा के तुला राशि के गोचर काल के समय में हो रहा है।
प्रातः 07 बजकर 23 मिनट के बाद कलश स्थापन का मुहूर्त भी आरम्भ हो जाएगा। नवरात्रि पूरे नौ दिनों का होगा और मुहूर्त ग्रंथों के अनुसार महाष्टमी का व्रत 23 अक्तूबर 2020 (शुक्रवार ) को किया जाएगा। भारत अथवा विश्व के जिस कोने में 24 अक्तूबर को अष्टमी तिथि 48 मिनट तक व्याप्त रहेगी वहां पर अष्टमी 24 अक्तूबर को ही मानई जाएगी। स्थानीय सूर्योदय के अनुसार ही इस पर विचार किया जा सकता है। 17 अक्तूबर को पुण्यकाल दोपहर 01 बजकर 27 मिनट तक रहेगा इसके पहले कलश स्थापन व्रत संकल्प आदि कर लेना अति शुभ रहेगा।
शारदीय नवरात्र का आरंभ तुला संक्रांति के साथ हो रहा है। लेकिन इसके साथ ही इस वर्ष कुछ ऐसे भी संयोग बन गए हैं जिनको लेकर ज्योतिषी आशंकित हैं कि आने वाले एक साल में देश दुनिया में काफी उथल-पुथल हो सकता है। इन दिनों राहु केतु की स्थिति भी अनुकूल नहीं है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है। ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं, इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है। पंडित शर्मा के अनुसार इस वर्ष देवी अश्व पर आ रही हैं जो कि युद्ध का प्रतीक होता है।
इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है। सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। किन्तु जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी। इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की अरााधना करें, व्रत करें एवं मां प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करें।
इस दिन इन वाहन पर आती हैं मां
शनिवार के दिन आश्विन शुक्ल प्रतिपदा होने से मां दुर्गा का वाहन अश्व होगा। एक और संयोग यह भी कि वासंतिक नवरात्रि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2021 को भी मां का वाहन अश्व ही रहेगा। इस प्रकार दो नवरात्रि में एक वाहन होने के कारण आने वाले एक वर्ष में देश दुनिया के लिए शुभ संकेत नहीं है।
तुला राशि पश्चिम दिशा की स्वामिनी है शनिवार होने के फलस्वरूप शनि भी पश्चिम दिशा के स्वामी हैं और अश्व को भी इसी दिशा का कारक माना जाता है अतः पश्चिम के देशों में प्राकृतिक आपदा, अग्निकांड, आंधी-तूफ़ान, साम्प्रदायिकता और आतंकवाद जैसे घटनाओं का बोलबाला रहेगा। आपसी युद्ध और दो राष्ट्रों में भी युद्धोन्माद भड़केगा तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा बराबर बना रहेगा। जनता पर बेरोजगारी तथा महंगाई का बोझ और बढ़ेगा।
शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा प्रत्येक नवरात्रि पर्व के प्रथम दिन अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर अपने भक्तों को वरदान देने आती हैं उनके वाहन के अनुसार ही मेदिनी ज्योतिष के फलित का विश्लेषण किया जाता है।
शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे । गुरौ शुक्रे च डोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता’।
गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे । नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्।
अर्थात- रविवार और सोमवार को नवरात्रि का शुभारम्भ हो तो मां दुर्गा का वाहन हाथी है जो अत्यंत जल की वृष्टि कराने वाला संकेत होता है। शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का शुभारंभ हो तो मां का आगमन घोड़ा (तुरंग) पर होता जो राजा अथवा सरकार के परिवर्तन का संकेत देता है। गुरुवार और शुक्रवार को नवरात्रि का प्रथम दिन पड़े तो मां का आगमन डोली में होता है जो जन-धन की हानि, तांडव, रक्तपात होना बताता है। यदि नवरात्रि का शुभारंभ बुधवार हो तो मां दुर्गा ‘नौका’ पर विराजमान होकर आती हैं और अपने सभी भक्तों को अभीष्ट सिद्धि देती है।
इस प्रकार वर्तमान में 17 अक्तूबर शनिवार से आरंभ होने वाले नवरात्रि के दिन मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर अपने भक्तों के घर आ रही हैं जो भक्ति की कठिन परिक्षा लेने वाली हैं। मां दुर्गा की वापसी में भैसें की सवारी करके जायेंगी।
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुजशोककरा। शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करीविकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभवृष्टिकरा। सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा।।
अर्थात- रविवार और सोमवार को नवरात्रि का समापन हो तो मां भैंसा की सवारी से जाती हैं जिससे देश में रोग और शोक बढ़ता है। शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का समापन हो तो मां मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं। जो दुख और कष्ट की वृद्धि कराता है। बुधवार और शुक्रवार को नवरात्रि का समापन होने पर मां की वापसी हाथी पर होती है जो अति वृष्टि सूचक है जबकि गुरुवार को नवरात्रि समापन होने पर मां भगवती मनुष्य के ऊपर सवार होकर जाती हैं जो सुख और शांति की वृद्धि होती है। इस प्रकार मां का आना और जाना दोनों ही अशुभ संकेत दे रहा।