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Shardiya Navratri 2022 8th Day: महाष्टमी पर जरूर कर लें ये महत्वपूर्ण काम, इस विशेष मुहूर्त पर पूजा करने से मिलेंगे कई लाभ

Shardiya Navratri 2022 8th Day: मां महागौरी की पूजा करने का नियम है। कुछ लोग इसी दिन अपने व्रत का पारण भी कर लेते हैं। लेकिन इस दिन व्रती को ये काम अवश्य कर लेना चाहिए तो आइए जानते हैं कौन से हैं वो महत्वपूर्ण काम साथ ही जानेंगे महाष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त…

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व होता है, उसमें भी आखिरी दो दिन सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इन दो दिनों में मां शक्ति की पूजा पूरे विधि-विधान से करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है। आज सोमवार को नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। नवरात्री के आठवें दिन को दुर्गाअष्टमी कहा जाता है। इसे महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां महागौरी की पूजा करने का नियम है। कुछ लोग इसी दिन अपने व्रत का पारण भी कर लेते हैं। लेकिन इस दिन व्रती को ये काम अवश्य कर लेना चाहिए तो आइए जानते हैं कौन से हैं वो महत्वपूर्ण काम, साथ ही जानेंगे महाष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त…

संधि पूजा मुहूर्त-

शास्त्रों में अष्टमी तिथि की समाप्ति के 24 मिनट और नवमी तिथि के प्रारंभ के 24 मिनट के काल को संधि काल कहा जाता है। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है। इस मुहुर्त में मां दुर्गा की पूजा करने से वो अत्यंत प्रसन्न होकर भक्तों को वरदान प्रदान करती हैं।

संधि मुहूर्त- शाम 04.13 बजे से लेकर शाम 05.01 तक

महाष्टमी पर किए जाने वाले कार्य

हवन (Hawan)

अष्टमी के दिन व्रत का पारण करने वाले लोगों को माता के सामने हवन जरूर करना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

लाल चूनर (Lal chunari)

महाअष्टमी पर माता को लाल रंग की चुनरी में 5 प्रकार के फल, मिठाई, पंचमेवा, एक सिक्का रखकर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

भोग (Ashtami bhog)

दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी को हलवा, पूड़ी,चने और नारियल का भोग लगाएं। ऐसा करने से धन संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

16 श्रृंगार दान (16 Shringar Daan)

इस दिन दुर्गा मां की पूजा में 16 श्रृंगार का सामान माता के चरणों में अर्पित करना चाहिए। इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में सुहागिनों को दान करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।

शनि दोष (Shani dev Puja)

कहा जाता है कि मां दुर्गा में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति मौजूद है। इसलिए महाष्टमी और नवमी के दिन शनिदेव की भी विधिवत पूजा करने से शनि देव के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।