नई दिल्ली। देश में त्योहारों के मौसम की शुरूआत हो चुकी है। हाल ही में गणेश चतुर्थी और ओणम का समापन हुआ है और अब जितिया का त्योहार नजदीक है। हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाता है। लेकिन इस बार इसकी तिथियों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोगों का कहना है कि ये व्रत 17 सितंबर को पड़ेगा, वहीं कुछ लोगों के अनुसार, इसे 18 सिंतंबर को मनाया जाएगा। संतान की लंबी उम्र, सफल जीवन और खुशहाल जीवन के उद्देश्य से इस व्रत को किया जाता है। तीन दिनों तक तक रखे जाने वाले इस व्रत की शुरुआत नहाए-खाए के साथ होती है। इसके दूसरे दिन निर्जला व्रत रखने का नियम है और फिर तीसरे दिन व्रत का पारण कर दिया जाता है। तो आइए जीवित्पुत्रिका के व्रत की तिथि को लेकर आपके मन में उत्पन्न हुई इस दुविधा का समाधान खोजते हैं…
जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषविदों के अनुसार, आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि 17 सितंबर की दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर शुरू हो जाएगी और अगले दिन यानी 18 सितंबर की दोपहर 04 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। हालांकि इसका व्रत 18 सितंबर को ही रखा जाएगा और व्रत का पारण 19 सितंबर की सुबह 06 बजकर 10 मिनट के बाद किया जाएगा।
जीतिया के व्रत में ध्यान रखी जाने वाली बातें
1.जितिया का व्रत रखने वाली महिलाओं को एक दिन पहले से तामसिक भोजन का त्याग कर देना चाहिए।
2.लहसुन, प्याज और मांसाहार आदि का सेवन ना करें।
3.इस व्रत को निर्जला रखा जाता है।
4.जितिया के व्रत में मन, वचन और कर्म की शुद्धता बहुत आवश्यक है।
5.व्रती महिला को किसी भी प्रकार का छल-कपट नहीं रखना चाहिए।
पूजा-विधि
1.जीवित्पुत्रिका के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
2.इसके बाद पूजा स्थल को गाय के गोबर से लीपकर स्वच्छ करें।
3.इसके बाद शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की प्रतिमा को जल के पात्र में स्थापित करें। भगवान को रोली, दीप और धूप आदि अर्पित करें।
4.भगवान को मिष्ठान का भोग लगाएं।
5.जितिया व्रत में प्रसाद और रंग-बिरंगे धागे अर्पित किए जाते हैं।
6.पूजा में इस्तेमाल किए गए धागों को सुरक्षा कवच के रूप में संतान को पहना दें।
7.इसके बाद उनकी लंबी आयु की कामना करें और उन्हें आशीर्वाद प्रदान करें।