नई दिल्ली। इस साल संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) 5 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन सोमवार है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूजा की जाती है। साथ ही व्रत भी रखा जाता है। यह व्रत आश्विन मास (Ashwin Month) के कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha) की चतुर्थी तिथि (Chaturthi Date) को किया जाता है। वहीं, इस बार अधिक मास भी चल रहा है। ऐसे में इस दौरान संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व (Importance of Sankashti Chaturthi) और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इस लेख में हम आपको संकष्टी चतुर्थी पूजा का मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Muhurat) और महत्व बताएंगे।
संकष्टी चतुर्थी
संकष्टी चतुर्थी का व्रत गणपति बप्पा की कृपा पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। गणेश जी की आराधना करने से भक्तों को सभी तरह के कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है। साथ ही चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है। जो व्यक्ति व्रत रखता है वह केवल फलाहार करता है। संकष्टी चतुर्थी को संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी कहा जाता है।
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
5 अक्टूबर सुबह 9 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 20 मिनट तक
चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय: रात 8 बजकर 12 मिनट
चतुर्थी तिथि आरंभ: सोमवार सुबह 10 बजकर 2 मिनट से
तिथि समाप्त
मंगलवार दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं। ये व्रत भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। अधिकमास में पढ़ने वाले इस व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर व्यक्ति सच्चे मन से चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की आराधना करे तो उसके सभी दुख को नाश हो जाता है। भगवान गणेश का नाम हर शुभ कार्य से पहले लिया जाता है। साथ ही हर मांगलिक कार्य भी गणेश जी की कृपा से ही पूरा किया जाता है।