Som Pradosh Vrat: सोम प्रदोष व्रत आज, जानें महत्व और पूजा विधि

Som Pradosh Vrat : आज सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) है। आश्विन मास (Ashwin month) के शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) का सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh) 28 सितंबर को है।

Avatar Written by: September 28, 2020 2:38 pm
Lord Shiva With Maa Durga & Maa Kali1

नई दिल्ली। आज सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) है। आश्विन मास (Ashwin month) के शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) का सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh) 28 सितंबर को है। सोमवार (Monday) के दिन पड़ने की वजह से इस व्रत को सोम प्रदोष व्रत भी कहते हैं। यह व्रत एकादशी के व्रत जितना ही महत्व रखता है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mother Parvati) की अराधना की जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

Devotees gathered to offer prayer on the occasion of Maha Shivratri festival

नीचे जानें सोम प्रदोष व्रत की पूजन विधि और महत्व की जानकारी-

Devotees perform rituals on the occasion of Maha Shivratri festival at Shiva temple

महत्व

मान्यता है कि ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। यह व्रत करने से शिव जी अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखते हैं। बता दें कि सोमवार का दिन शिव जी का होता है। इस दिन मंदिर में शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है। साथ ही शिव जी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। इस दिन माता पार्वती को भी पूजा जाता है। शिव जी और माता पार्वती की कृपा हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति को अपने तमाम रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

पूजा विधि

इस दिन व्रती को सुबह जल्दी उठ जाएं। नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद अपने हाथ में जल लें और प्रदोष व्रत का संकल्प करें। व्रती को पूरे दिन फलाहार करना चाहिए। फिर शाम को प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करें। फिर शिवजी को गंगा जल, अक्षत्, पुष्प, धतूरा, धूप, फल, चंदन, गाय का दूध, भांग आदि अर्पित करें। फिर ओम नम: शिवाय: मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा का पाठ करें और आरती गाएं। पूजा संपन्न करने के बाद सभी घरवालों में प्रसाद बांटें। पूरी रात जागरण करें और अगले दिन स्नान कर महादेव का पूजन करें। अपनी सामर्थ्य अनुसार, ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें। फिर पारण कर व्रत को पूरा करें।