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Chaitra Pradosh Vrat 2022: इस बार चैत्र प्रदोष व्रत में बन रहा खास संयोग, जानें व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

Chaitra Pradosh Vrat 2022: इस व्रत की एक विशेष बात ये है कि जिस दिन प्रदोष व्रत होता है, उसी दिन के नाम पर प्रदोष व्रत होता है। जैसे अगर सोमवार को प्रदोष व्रत पड़ रहा है तो उसे सोम प्रदोष व्रत और मंगलवार को पड़ रहा है तो उसे, इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा।

नई दिल्ली। हिंन्दू धर्म में कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। ठीक से देखा जाए तो लगभग हर महीने कोई न कोई व्रत या त्योहार पड़ ही जाता है फिर चाहे वो एकादशी का पर्व हो या अमावस्या या पूर्णिमा। उन्हीं त्योहारों में से एक है प्रदोष व्रत। एकादशी की तरह ही प्रदोष व्रत भी हर महीने 2 बार आता है। इस व्रत को हर महीने के दोनों पक्षों में त्रयोदशी तिथि के दिन रखते हैं। हिन्दू कैलेंडर में साल की शुरुआत चैत्र मास से होती है। इस साल चैत्र महीना 19 मार्च से शुरू होकर 16 अप्रैल तक चलेगा। इस माह को ‘मधुमास’ के नाम से भी जाना जाता है। इस बार चैत्र माह का प्रदोष व्रत 29 अप्रैल मंगलवार को पड़ रहा है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत की एक विशेष बात ये है कि जिस दिन प्रदोष व्रत होता है, उसी दिन के नाम पर प्रदोष व्रत होता है। जैसे अगर सोमवार को प्रदोष व्रत पड़ रहा है तो उसे सोम प्रदोष व्रत और मंगलवार को पड़ रहा है तो उसे, इसलिए इसे ‘भौम प्रदोष’ व्रत कहा जाएगा। मंगलवार को पड़ने के कारण इस व्रत को काफी खास माना जा रहा है। आइये आपको बताते हैं प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में…

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शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत 29 मार्च 2022 को द्विपुष्कर योग सुबह 06.15 बजे से शुरू हो जाएगा और 11.28 बजे समाप्त हो जाएगा। इसके बाद दोपहर 3.14 मिनिट तक साध्य योग और उसके बाद शुभ योग रहेगा।

चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 29 मार्च 2022 दोपहर 02.38 बजे से शुरू हो जाएगा।

प्रदोष काल पूजन का मुहूर्त- शाम 06.37 से रात 8.57 बजे तक रहेगा

चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि समाप्त- 30 मार्च 2022, बुधवार को दोपहर 01.19 बजे समाप्त हो जाएगा।

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पूजा-विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। सुबह उठकर स्नानादि करके, व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान शिव पूजा के समय भगवान शंकर को धतूरा और फूल अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद शाम को भी भगवान शंकर की पूजा की जाती है। इसमें प्रदोष व्रत की कथा भी सुनी जाती है। पूजा के समय भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना भी काफी लाभकारी होता है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।