नई दिल्ली। सनातन धर्म में कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। लगभग हर महीने ही कोई न कोई व्रत या त्योहार पड़ता है। उन्हीं में से एक है प्रदोष व्रत, हिन्दू धर्म में इसका विशेष महत्व होता है। इस व्रत को प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस बार ये तिथि 12 जून यानी रविवार को पड़ रही है। इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। प्रदोष व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है। इसमें लोग व्रत का संकल्प लेकर व्रत रखते हैं और भगवान शंकर की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत को पूरे विधि-विधान से रखने से व्यक्ति के सभी कष्टों का निवारण होता है।
इसके अलावा, उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है। लेकिन इस बार रवि प्रदोष व्रत है, तो इस बार भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भगवान सूर्य की भी पूजा की जाएगी। रवि प्रदोष का व्रत रखने से एक ओर जहां भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलेगा, वहीं, दूसरी ओर भगवान सूर्य देव की कृपा से भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु होने का वरदान प्राप्त होगा।
रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, ये व्रत ज्येष्ठ शुक्ल की त्रयोदशी तिथि यानी 12 जून को दोपहर के बाद 3:23 बजे से शुरू होकर 13 जून की दोपहर के बाद 12:26 बजे तक रहेगा। इस व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 12 जून को सुबह 7:19 से 9:20 बजे होगा। इसके अलावा, इस दिन शिव योग और सिद्धि योग भी बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ही योगों को बहुत शुभ माना गया है, इस योग में किए गए सभी कार्य फलीभूत होते हैं।
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