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Aja Ekadashi: आज है अजा एकादशी का व्रत, पूजा के बाद भगवान विष्णु की ये कथा पढ़ने से पूर्ण होंगी सभी मनोकामनाएं 

Aja Ekadashi: भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसा करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होने के साथ ही उसे अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की भी प्राप्ति होती है।

नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल छठे माह यानी भाद्रपद (भादो) मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी का व्रत रखा जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसा करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होने के साथ ही उसे अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की भी प्राप्ति होती है। अजा एकादशी का व्रत आज मंगलवार, यानी 23 अगस्त 2022 को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद एकादशी व्रत की कथा का पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। तो आइए जानते हैं क्या है अजा एकादशी व्रत कथा…

प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक हरिश्चंद्र नामक राजा को किसी कारणवश अपना राज्य छोड़ना पड़ा। इससे आने वाली समस्या के समाधान के लिए उसे स्वयं के साथ-साथ अपनी पत्नी और बच्चे को भी बेचना पड़ा। इसके बाद राजा हरिश्चंद्र एक ऐसे चांडाल के यहां काम करने लगे, जो मृत लोगों के वस्त्र लिया करता था। तमाम परेशानियां आने के बावजूद हरिश्चंद्र हमेशा सच्चाई के रास्ते पर ही चले। एक दिन जब राजा हरिश्चंद्र अकेले बैठे जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाने के विषय में सोच रहे थे। तभी वहां गौतम ऋषि का पधारे। हरिश्चंद्र ने ऋषि को प्रणाम कर अपने दुखों से छुटकारा पाने का उपाय पूछा।

तब ऋषि ने राजा को बताया कि, ‘आज से ठीक 7 दिन पश्चात भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी का व्रत रखने से तुम्हारी सभी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।’ इसके बाद राजा ने आने वाली एकादशी को ऐसा ही किया। उसने भगवान विष्णु की ऋषि द्वारा बताई गई पूजा विधि से पूजा और रात्रि जागरण किया। व्रत के फलस्वरूप राजा के सभी पाप और दुख नष्ट हो गए। इसके अलावा, उसे उसका राज्य भी वापस मिल गया। इतना ही हीं, मृत्यु के पश्चात राजा हरिश्चंद्र को स्वर्ग की भी प्राप्ति हुई।