नई दिल्ली। विगत 22 मार्च 2020 से शनि एवम मंगल का एक साथ होना व 30 मार्च 2020 से गुरु नीच का अतिचारी होकर मकर राशि में 30 जून तक विचरण करना इस रोग की प्रबलता में वृद्धि करेगा। इस बीच में 14 मई 2020 को शनि वक्री हो जाएगा यानि 14 मई 2020 तक यह महामारी अपने चरम सीमा पर रहेगी। 30 मार्च से 2020 को गुरु नीच का व इसके साथ 7 अप्रैल 2020 को बुध भी नीच का हो जाएगा । यह समय बहुत कड़ा रहेगा इसलिए इस समय बहुत ध्यान रखना होगा।
आप सभी को पर जैसे ही गुरु वक्री होगा 14 मई 2020 को वैसे वैसे यह महामारी अपनी वापस अपने कमजोरी की ओर बढ़ना शुरू हो जाएगी वैसे इसका प्रभाव 30 जून को एक बार वापस दिखा सकता है पर उतना ताकतवर नहीं रहेगा।
वैसे गुरु के कारण हमेशा फेफड़ों में इन्फेक्शन होता है । गुरु जैसे ही मकर राशि में नीच का होकर वक्री होगा तब अपने आप इसका इलाज सामने आ जायेगा व शनि व मंगल के पाप मध्यत्व में भी इसकी ताकत कमजोर रहेगी इसलिए 30 मार्च 2020 से 14 मई 2020 के बीच जब चंद्रमा नीच का रहेगा वह दिन ज्यादा बुरा होगा।आपको कोई डरने की जरूरत नहीं है ।
इन उपायों से होगा लाभ
गोबर के कंडों पर हल्दी केसर का हवन करें फिर देखे वातावरण में सफाई हो जाएगी ।
हल्दी का दूध पीए नियमित मां सबकी रक्षा करेगी ।
केसर या हल्दी क़ा तिलक लगाए।
फिलहाल गुरू अस्तगस्त है, गुरू को बलवान करे। गुरू बलवान होते ही प्रकोप थमने लगेगा।
भगवान नरसिंह जी का ध्यान करके नरसिंह गायत्री ( ॐ बज्र नखाय बिद्म्हे तीक्ष्ण द्र्स्टाय धिम्ही तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ) का मानसिक (हर समय ) जाप करे और विनती करे की प्रभु प्रकोप को नष्ट करे।