Uttarakhand Kumbh 2021: जानें शाही स्नान का महत्व
Uttarakhand Kumbh 2021: आज कुंभ मेले का दूसरा शाही स्नान है। ऐसे में हर की पौड़ी पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। कुंभ के मेले में नागा साधु, अखांड़ों के लंगर जैसी कई चीजें देखने को मिल रही है। 12 अप्रैल को कुंभ मेले का दूसरा शाही स्नान है।
नई दिल्ली। इस बार का कुंभ मेला हरिद्वार में लगा है। देश में चार जगहों पर कुंभ का मेला लगता है। इसमें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन शामिल हैं। इस मेले के पीछे की कहानी यह है कि गुरु 12 साल में अपनी एक पूरे चक्र को पूरा करता है। गुरु अन्य राशियों में विचरण करते हुए 12 साल के अंतराल के बाद एक बार अपनी स्वराशि यानि अपने स्वग्रह राशि कुंभ में प्रवेश करता है। इसी संयोग को सेलिब्रेट करने के लिए कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। कुंभ के आयोजन में सूर्य और देव गुरु बृहस्पति की अहम भूमिका मानी जाती है। इन दोनों ही ग्रहों की परिचालन गणना के आधार पर कुंभ के आयोजन का समय निश्चित किया जाता है। इस बार हरिद्वार में आयोजित यह कुंभ मेला कई मायने में खास है। क्योंकि हर बार की तरह इस बार कुंभ का मेला 12 वर्ष में नहीं 11 वर्ष में लगने वाला है।
आज कुंभ मेले का दूसरा शाही स्नान है। ऐसे में हर की पौड़ी पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। कुंभ के मेले में नागा साधु, अखांड़ों के लंगर जैसी कई चीजें देखने को मिल रही है। 12 अप्रैल को कुंभ मेले का दूसरा शाही स्नान है।
इससे पहले 11 मार्च महाशिवरात्रि को कुंभ मेले का पहला शाही स्नान था। इसके बाद 14 अप्रैल को तीसरा शाही स्नान और 27 अप्रैल को चौथा शाही स्नान होगा। इस मौके पर जानें शाही स्नान का क्या महत्व होता है।
— हिंदू धर्म में कुंभ स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है।
— धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शाही स्नान के दिन गंगा जी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
— कुंभ शाही स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
— कुंभ शाही स्नान करने से पितर दोष भी दूर हो जाते हैं।
— कुंभ मेले में किसी भी दिन स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शाही स्नान करने से अमरत्व की प्राप्ति होती है।
— शाही स्नान के दिन अलग- अलग अखाडों के साधु भी स्नान करने आते हैं।