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Pitru Paksha 2022: कब से शुरू हो रहे पितृपक्ष?, जानिए किस दिन किया जाएगा कौन सा श्राद्ध?

Pitru Paksha 2022: 17 सितंबर को कोई श्राद्ध कर्म नहीं किए जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और दान आदि करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती साथ ही बच्चों को उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध का आरंभ होने वाला है, जो कि शनिवार, 10 सितंबर को पड़ रहा है। श्राद्ध पक्ष का समापन रविवार, 25 सितंबर को हो जाएगा। आमतौर पर श्राद्ध 15 दिनों तक चलते हैं, लेकिन इस बार ये 16 दिनों तक चलेंगे। ऐसा संयोग इससे पहले साल 2011 में बना था। हिंदू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। हालांकि, 17 सितंबर को कोई श्राद्ध कर्म नहीं किए जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और दान आदि करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती साथ ही बच्चों को उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। पूर्वजों से प्राप्त आशीर्वाद से जीवन की तमाम परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

किस दिन किसका किया जाएगा श्राद्ध

10 सितंबर (प्रतिपदा का श्राद्ध) – इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाएगा, जिनकी मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो।

11 सितंबर (द्वितीया का श्राद्ध) – जिन लोगों की मृत्यु द्वितिया तिथि पर होती है। उनका श्राद्ध इस दिन किया जाएगा।

12 सितंबर (तृतीया का श्राद्ध) –  मृत्यु तृतीया तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वाले लोगों का श्राद्ध इसी दिन किया जाएगा।

13 सितंबर (चतुर्थी का श्राद्ध) –  चतुर्थी तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वाले लोगों का श्राद्ध इस दिन किया जाएगा।

14 सितंबर (पंचमी का श्राद्ध) – अविवाहित या पंचमी तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वाले लोगों का श्राद्ध पंचमी तिथि को किया जाता है। इसे ’कुंवारा पंचमी’ श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है।

15 सितंबर (षष्ठी का श्राद्ध) –  षष्ठी तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वाले लोगों का श्राद्ध षष्ठी तिथि पर किया जाएगा।

16 सितंबर (सप्तमी का श्राद्ध) – जिन लोगों का देहांत सप्तमी तिथि को होता है उनका श्राद्ध  सप्तमी तिथि पर किया जाएगा।

17 सितंबर – इस दिन कोई श्राद्ध नहीं किया जाएगा।

18 सितंबर (अष्टमी का श्राद्ध) – अष्टमी तिथि पर मरने वाले लोगों का श्राद्ध इस दिन किया जाएगा।

19 सितंबर (नवमी का श्राद्ध) – सुहागिन महिलाओं, माताओं का श्राद्ध नवमी तिथि के दिन करने का नियम है। इसे मातृनवमी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है।

20 सितंबर (दशमी का श्राद्ध) –  दशमी तिथि पर मरने वाले लोगों का श्राद्ध इस दिन किया जाएगा।

21 सितंबर (एकादशी का श्राद्ध) – इस दिन मृत संन्यासियों का श्राद्ध करने का नियम है।

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22 सितंबर (द्वादशी का श्राद्ध) – इस दिन अज्ञात तिथि वाले मृत संन्यासियों का श्राद्ध किया जाता है।

23 सितंबर (त्रयोदशी का श्राद्ध) – त्रयोदशी या अमावस्या के दिन केवल मृत बच्चों का श्राद्ध किया जाता है.

24 सितंबर (चतुर्दशी का श्राद्ध) –  किसी दुर्घटना, बीमारी या आत्महत्या से मरने वाले लोगों का श्राद्ध इस दिन किया जाता है।

25 सितंबर (अमावस्या का श्राद्ध) – इस दिन भूले बिसरे पितरों का श्राद्ध करने का नियम है। इसे  सर्वपिृत श्राद्ध भी कहा जाता है।