नई दिल्ली। त्योहारों का मौसम जोरों पर है। देशवासियों ने अगस्त के महीने में ही श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया था और अगले महीने की शुरुआत में ही यानी सितंबर माह की 3 तारीख को केशव की प्रेमिका राधारानी को समर्पित पर्व राधा अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि राधाष्टमी का व्रत किए बिना जन्माष्टमी की पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता है। इसके अलावा, इस व्रत को करने से जीवन में प्रेम, सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। साथ ही इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करने से दांपत्य जीवन भी सुखमय होता है। इस अवसर पर मथुरा, वृंदावन और बरसाने में जन्माष्टमी जैसा ही उत्साह रहता है। हिंदू पंचाग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता है, जो 3 सितंबर शनिवार को पड़ रही है। तो आइए आपको बताते हैं राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि…
शुभ मुहूर्त
राधाष्टमी तिथि का प्रारंभ शनिवार 03 सितंबर 2022 की दोपहर 12:25 बजे हो जाएगा, जो रविवार 04 सितंबर 2022 की सुबह 10:40 बजे तक बना रहेगा। लेकिन वहीं, कुछ लोग उदया तिथि के अनुसार, इस पर्व को 04 सितंबर को मनाएंगे।
राधा अष्टमी पूजा-विधि
1. राधा अष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नानादि करने के बाद देवी की पूजा कर उनका व्रत करने का संकल्प करें।
2.इसके बाद पूजा-स्थल को गंगाजल छिड़क कर उसे स्वच्छ करें।
3.अब यहां एक चौकी रखकर उस पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछा दें।
4.इस स्थान पर राधा-कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।
5.इसके बाद राधा-रानी को पंचामृत से स्नान कराएं
6.उन्हें वस्त्र और आभूषण पहना कर उनका श्रृंगार करें।
7.इसके बाद भगवान को फल-फूल और मिष्ठान अर्पित करें।
8.पूजा करते समय राधा-कृष्ण के मंत्रों का जाप करें।
9.पूजा करने के बाद राधा-रानी के जन्म की कथा का पाठ अवश्य करें।
10.अंत में राधा कृष्ण की आरती कर उन्हें प्रणाम करें।