Raksha Bandhan 2022: कलाई पर क्यों बांधते हैं रक्षासूत्र? जानिए ज्योतिषाचार्य डा. राज कुमार शास्त्री ने क्या बताया?

Raksha Bandhan 2022: मान्यता यह भी है किभगवान के आशीर्वाद से पवित्र लाल धागा यानी कलावा व्यक्ति को सभी बीमारियों, दुश्मनों और अन्य खतरों से बचाता है। 

Avatar Written by: August 8, 2022 4:24 pm

नई दिल्ली। राखी या रक्षासूत्र को रक्षाबंधन के अवसर पर भाई की कलाई में बाँधा जाता है। यह त्योहार भाई बहन के प्यार का दिन कहा जाता है। बहन अपने भाई को राखी बांध कर उससे खुद की रक्षा का वादा लेती है। प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण अपने यजमानों के दाहिने हाथ पर एक सूत्र बांधते थे, जिसे रक्षासूत्र कहा जाता था। इसे रेशमी धागे और कुछ सजावट की वस्तुओं को मिलाकर बनाया जाता है। प्राचीनकाल में रक्षाबंधन मुख्य रुप से हिन्दुओ का त्यौहार है। इसे ही आगे चलकर राखी जाने लगा। रक्षाबंधन की सामाजिक लोकप्रियता कब प्रारंभ हुई, यह कहना कठिन है। कुछ पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र है जिसके अनुसार भगवान विष्णु के वामनावतार ने भी राजा बलि के रक्षासूत्र बांधा था और उसके बाद ही उन्हें पाताल जाने का आदेश दिया था। आज भी रक्षासूत्र बांधते समय एक मंत्र बोला जाता है उसमें इसी घटना का जिक्र होता है।

ज्योतिषाचार्य द्विवेदी डा. राज कुमार शास्त्री से न्यूजरुम का सवाल

न्यूजरूमपोस्ट  ने  ज्योतिषाचार्य द्विवेदी डा. राज कुमार शास्त्री से खास बातचीत की जिसमें ज्योतिषाचार्य द्विवेदी डा. राज कुमार शास्त्री ने बाताया क्या आप जानते हैं कि हाथ की कलाई पर रक्षासूत क्यों बांधते हैं? उस पर उन्होंने अपना जवाब बताया।

ज्योतिषाचार्य द्विवेदी डा. राज कुमार शास्त्री का जवाब

कुछ लोग धार्मिक परंपराओं और आधुनिक विज्ञान को अलग अलग मानते हैं। जबकि इन दोनों का एक दूसरे से परस्पर गहरा संबंध हैं, जब भी हम लोग घर या मन्दिर में विशेष पूजा अनुष्ठान करते हैं, तो विद्वान आचार्य पुरोहित हाथ की कलाई पर एक धागा य मौली बांधते हैं, इसे रक्षासूत कहा जाता है, यह धागा केवल एक परम्परा ही नही है अपितु हमारे स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध है, शास्त्रानुसार इस रक्षासूत को बाधने की शुरुआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि ने की थी,मन्त्र ,येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल।। आचार्य जन इस रक्षासूत को रक्षा कवच भी कहते हैं, शास्त्रानुसार इस धागा को कलाई पर बांधने से सब परेशानियों से सुरक्षा मिलती है, इस रक्षासूत के बाधने से त्रिदेवीय शक्तियाँ उसकी रक्षा करती हैं, वेद में प्रसङ्ग आता है की वृत्रासुर के युद्ध मे जाते समय देवी इन्द्राणी ने देवराज इन्द्र के दाहिने हाथ की कलाई पर यही रक्षासूत बाँधा था, इस रक्षासूत के हाथ मे बांधने से नौकरी और व्यापार में भी उन्नति मिलती है।इस रक्षासूत को पुरुष और अविवाहित महिलाएं दाहिने हाथ की कलाई पर और विवाहित महिलाएँ बाएं हाथ की कलाई पर बाधें, इसके अतिरिक्त वाहन, निवास व्यापार का मुख्य द्वार, खाता वही, और चावी पर भी यह धागा बाधना चाहिए। शास्त्र मत के अतिरिक्त वैज्ञानिक मत भी है, वह यह है कि शरीर के विभिन्न प्रमुख अंगों तक पहुंचने के लिए नसों को कलाई से गुजरना पड़ता है,और जब हमारी कलाई पर धागा बधा रहता है तो नस की क्रिया नियंत्रित होती है, इससे हमारे शरीर के त्रिदोष कफ,वात, पित्त दूर होते है, इससे ह्रदय रोग,पक्षाघात,और मधुमेह जैसी जघन्यतम रोगों से बचाव होता है, यही सत्य है, इसको प्राचीन, आधुनिक दोनो वैज्ञानिकों ने भी माना है।

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