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Dusshera 2022: दशहरे के दिन क्यों की जाती है शमी के वृक्ष की पूजा, जानिए इसके पीछे का महत्व और पौराणिक कथा

Dusshera 2022: कई स्थानों पर शमी के वृक्ष की पूजा करने का भी नियम है। इसके अलावा, दशहरे के दिन शमी के वृक्ष को घर में लगाना भी काफी शुभ माना जाता है। तो आइए जानते हैं कि शमी की पूजा करने के महत्व और इसके इतिहास के बारे में…

नई दिल्ली। त्योहारों का महीना शुरू हो चुका है। कल ही नवरात्रि का समापन हुआ है। आज दशमी तिथि को देश भर में दशहरे का पर्व मनाया जाएगा। हर साल विजयादशमी के दिन रावण का पुतला फूंकने की परंपरा है। इस दिन भगवान राम ने अहंकारी और अत्याचारी रावण का अंत कर असत्य पर सत्य की विजय की थी। बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हुए हर साल रावण का अंत किया जाता है। जगह-जगह रामलीला आयोजित कर भगवान राम और रावण का अंतर करते हुए कथा सुनाई जाती है और सीख दी जाती है कि किस प्रकार प्रकांड पंडित और अत्यंत शक्तिशाली होने के बावजूद अहंकार उसके पतन का कारण बना। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस पर्व को मनाने की अलग परंपरा है। इस क्रम में कई स्थानों पर शमी के वृक्ष की पूजा करने का भी नियम है। इसके अलावा, दशहरे के दिन शमी के वृक्ष को घर में लगाना भी काफी शुभ माना जाता है। तो आइए जानते हैं कि शमी की पूजा करने के महत्व और इसके इतिहास के बारे में…

शमी के वृक्ष की पूजा का इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार महर्षि वर्तन्तु ने अपने शिष्य कौत्स से उसकी शिक्षा पूरी होने के बाद गुरु दक्षिणा में 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं की मांग की थी। गुरु दक्षिणा पूरी करने के उद्देश्य से कौत्स महाराज रघु के पास सहायता मांगने के लिए गए। लेकिन उसके कुछ ही समय पहले एक महायज्ञ करवाने की वजह से महाराज रघु का खजाना खाली हो चुका था। इसलिए उन्होंने धन जुटाने के लिए कौत्स से तीन दिन का समय मांगा। इस समस्या का समाधान खोजते हुए उन्हें विचार आया कि अगर स्वर्गलोक पर आक्रमण करके ढ़ेर सारा खजाना प्राप्त किया जा सकता है। राजा के मन मे आए इस विचार से घबरा कर देवराज इंद्र ने कुबेर से राजा रघु के राज्य में स्वर्ण मुद्राओं की वर्षा करने का आदेश दिया। कुबेर ने जिस दिन स्वर्ण मुद्राओं की वर्षा की थी वो विजयादशमी की तिथि थी। इसके अलावा, एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार, भगवान राम ने रावण के साथ युद्ध करने से पहले पहले शमी के वृक्ष की पूजा की थी। एक अन्य कथा के अनुसार, अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने अपने अस्त्र शमी के पेड़ में ही छिपाकर रखे थे।

शमी की पूजा करने के लाभ
1.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दशहरे के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने से सारी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
2.इस वृक्ष को घर में लगाने से मां लक्ष्मी का वास होता है
3.घर में शमी के वृक्ष को लगाने से सभी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
4.इससे घर में नकारात्मक शक्तियों का वास नहीं होता है।
5.विजयादशमी के दिन शमी की पूजा करने से सभी संकटों का नाश होता है।
6.शमी की पूजा करने वाले व्यक्ति और उसके परिवार को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
7.दशहरे पर शमी की पूजा करने से घर से सभी प्रकार के तंत्र-मंत्र का असर खत्म हो जाता है।
8.इस वृक्ष की पूजा करने से शनि की साढ़े साती, ढैय्या संबंधी दोष समाप्त होते हैं।