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Shardiya Navratri 2022 Third Day: नवरात्रि के तीसरे दिन इस विधि से करेंगे मां चंद्रघंटा की पूजा, तो पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

Shardiya Navratri 2022 Third Day: जो भी पूरे भक्ति भाव से पूजा करता है उसे माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। तो आइए इस मौके पर आपको बताते हैं कि मां चंद्रघंटा की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है साथ ही इस व्रत की पूजा विधि और कुछ महत्वपूर्ण बातों की भी जानकारी देंगे।

नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन आज, बुधवार को मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। नवरात्रि के पूरे नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा के स्वरूप को परम शान्तिदायक और कल्याणकारी माना जाता है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की उपासना करने का नियम है। ऐसी मान्यता है कि मां शक्ति के तीसरे स्वरूप यानी माता चंद्रघंटा की जो भी पूरे भक्ति भाव से पूजा करता है उसे माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। तो आइए इस मौके पर आपको बताते हैं कि इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है? साथ ही इस व्रत की पूजा विधि और कुछ महत्वपूर्ण बातों की भी जानकारी देंगे।

शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:36 से लेकर सुबह 05:24 तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:11 से लेकर दोपहर 02:59 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम05:59  से लेकर शाम 06:23 तक।
अमृत काल-  रात 09:12 से लेकर शाम 10:47 तक।
रवि योग- 29 सितंबर की सुबह 05:52 से लेकर सुबह 06:13 तक।

कौन हैं मां चंद्रघंटा?

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा ने असुरों का संहार करने के लिए अवतार लिया था। कहा जाता है कि माता शक्ति के इस स्वरूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं। हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष व गदा धारण करने वाली माता के मस्तक पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है। यही कारण है कि इन्हें मां चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। दुर्गा माता के इस स्वरूप को सौम्य और शांत माना जाता है।

पूजा-विधि

1.इस दिन प्रात: काल जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2.अब पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें।

3.इसके बाद मां चंद्रघंटा का ध्यान कर उनके समक्ष दीप जलाएं।

4.अब मां को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि वस्तुएं अर्पित करें।

5.तत्पश्चात उन्हें फल और केसर-दूध से बनी मिठाइयों या खीर अथवा शहद आदि का भोग लगाएं।

6.मां का ध्यान करते हुए दुर्गा चालीसा और सप्तशती का पाठ करें।

7.इसके बाद मां की आरती कर उन्हें प्रणाम करें।

जप-मंत्र

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।