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Ford: भारत में कारों का निर्माण बंद करेगी अमेरिकी कंपनी फोर्ड, मोदी सरकार की नीतियों को बताया जा रहा है वजह, लेकिन सच कुछ और है!

Ford Motor : एक तरफ यह भी आरोप लग रहे हैं कि मोदी सरकार की नीतियों के चलते गाड़ियों के निर्माण का कार्य फोर्ड को रोकना पड़ रहा है। वहीं खबरें ऐसी भी आईं कि, मोदी सरकार की तरफ से जो नीतियां बनाई गईं उसके चलते फोर्ड भारतीय बाजार में आसानी से नहीं टिक पाया।

नई दिल्ली। फोर्ड मोटर कंपनी को लेकर खबर सामने आई है कि अब यह कंपनी भारत में अपने कार प्रोडक्शन को बंद करने वाली है। बता दें कि फोर्ड कंपनी देश में अपने दोनों संयंत्रों को बंद करने जा रही है। इसको लेकर दो सूत्रों ने रॉयटर्स को जानकारी दी कि वाहन निर्माता कंपनी का बाजार से बाहर निकलने का प्लान है। वहीं सूत्रों का कहना है कि, फायदा ना होने की वजह से कंपनी की तरफ से यह फैसला लिया गया है। ऐसे में इसे जारी रखना कंपनी के लिए लाभदायक साबित नहीं हो रहा था। बता दें कि फोर्ड कंपनी लंबे समय से भारतीय बाजार में समय से संघर्ष कर रही थी लेकिन उसका कोई भी सेंगमेंट लोगों को लुभाने में बहुत अधिक कारगर साबित नहीं हुआ, जो लंबे समय तक टिका रहा हो। हालांकि भारत में निर्माण कार्य को बंद करने में पूरा लगभग एक साल का समय लग सकता है। कंपनी ने अपने चेन्नई (तमिलनाडु) और साणंद (गुजरात) संयंत्रों में लगभग 2.5 अरब डॉलर का निवेश किया है। कंपनी इन संयंत्रों से उत्पादित इको-स्पोर्ट, फिगो और एस्पायर जैसे वाहनों की बिक्री बंद कर देगी।

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हालांकि एक तरफ यह भी आरोप लग रहे हैं कि मोदी सरकार की नीतियों के चलते गाड़ियों के निर्माण का कार्य फोर्ड को रोकना पड़ रहा है। वहीं खबरें ऐसी भी आईं कि, मोदी सरकार की तरफ से जो नीतियां बनाई गईं उसके चलते फोर्ड भारतीय बाजार में आसानी से नहीं टिक पाया। ऐसे में उसे भारतीय बाजार से खुद के सिस्टम को समेटना पड़ा है। हालांकि भारत में निर्माण कपंनी बंद करने के पीछे उसकी खुद भी कमजोरियां बताई जा रही हैं।

बता दें कि भारतीय बाजार में गाड़ियों के मामले में फोर्ड ने मिडिल क्लास को लुभाने की कोशिश में Figo लॉन्च तो किया था लेकिन बॉडी बिल्ड सेक्शन में यह कार पूरी तरह से लोगों की नजरों से गिरती चली गई। हालांकि हुंडई की क्रेटा और मारुति सुजकी की ब्रेजा जैसे गाड़ियों के सेगमेंट में भी फोर्ड ने अपनी पकड़ मजबूत बनानी चाही और इको-स्पोर्ट्स लॉन्च की। लेकिन इन गाड़ियों के उत्पादन में कंपनी अधिक दूर तक नहीं जा पाई, जैसा कि अन्य कपंनियां इस सेगमेंट में अपने मॉडल के साथ गईं। जैसे क्रेटा की डिमांड आज भारतीय बाजार में अधिक है। वहीं मिडिल क्लास के ग्राहकों के लिए ब्रेजा भी पसंद बनी हुई है।

भारतीय बाजार से फोर्ड की विदाई का एक कारण ये भी हो सकता है कि भारत में मारुति सुजकी की कई ऐसी गाड़ियां जो लोगों के लिए माइलेज के मामले में और किफायती दामों में उपलब्ध है। ऐसे में फोर्ड के पास विकल्प कम होने की वजह से लोगों ने फोर्ड की तरफ कम ध्यान दिया। लिहाजा अब फोर्ड को नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में उसने फैसला लिया है कि, वह भारतीय बाजार से खुद की निर्माण कंपनी को बंद करेगा।

इसके अलावा फोर्ड के साथ भारत में सबसे बड़ी दिक्कत ये भी रही और लोगों की शिकायत रही कि फोर्ड की गाड़ियों के पार्ट्स और सर्विस अन्य कंपनियों, जैसे महिंद्रा, मारुति सुजकी, टाटा के मुकाबले आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाते। खासकर शहरी इलाकों से दूर, जोकि गाड़ियों के लिए बड़ा बाजार साबित हो रहा है। ऐसे में लोग इस कंपनी की गाड़ियों को अपनाने में हिचकते भी हैं। वहीं रिसेल वैल्यू कम होना फोर्ड के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। बता दें कि भारत में गाड़ियों के लिहाज से बड़ा बाजार मिडिल क्लास है। ऐसे में यह क्लास नई गाड़ी लेने के साथ यह भी देखता है कि उन्हें रिसेल वैल्यू किस कंपनी में ज्यादा मिलेगी। मारुति सुजकी इस मामले में सबसे आगे नजर आती है। गौरतलब है कि जनरल मोटर्स के बाद भारत में प्लांट बंद करने वाली फोर्ड दूसरी अमेरिकी ऑटो कंपनी है।