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केजरीवाल सरकार के तमाम दावों के बावजूद दिल्ली में नहीं दिखती शिक्षा में क्रांति!

बच्चे जब प्राइवेट में जा रहे है तो बीते दिनों 700 कम फीस लेकर चल रहे प्राइवेट स्कूलों को बंद करने की बात कही। यही नही, दो चार उदाहरण लेकर झूठी खबरें फैलाया गया कि प्राइवेट से बच्चे सरकारी में आ रहे है।

कहाँ है शिक्षा क्रांति? दिल्ली के स्कूलों के वर्ल्ड क्लास बनने और सरकारी शिक्षा में क्रांति होने के तमाम दावों के बावजूद दिल्ली के शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री सहित लगभग सभी AAP नेता, विधायक, सांसद के बच्चें प्राइवेट में पढ़ते है या प्राइवेट से पढ़कर पास हुए है। इसके बावजूद बीते 5 सालों में AAP की सरकार ने दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों को विलेन बनाकर रख दिया है।

Arvind Kejriwal PC

शायद यही वजह है कि 4 साल के भीतर 558 से अधिक प्राइवेट स्कूल कम हो गए। 500 नए स्कूल का वादा करके आई सरकार 5% भी वादे के मुताबिक स्कूल नही खोल पाई। बच्चे जब प्राइवेट में जा रहे है तो बीते दिनों 700 कम फीस लेकर चल रहे प्राइवेट स्कूलों को बंद करने की बात कही। यही नही, दो चार उदाहरण लेकर झूठी खबरें फैलाया गया कि प्राइवेट से बच्चें सरकारी में आ रहे है। लेकिन आँकड़े यही कह रहे है कि दिल्ली के स्कूलों से बच्चें प्राइवेट की तरफ भाग रहे है।

Manish sisodia

सरकारी स्कूलों की संख्या में 27 का इजाफा हुआ लेकिन 129000 बच्चें घट गए। 2013-14 में 16.10 लाख बच्चें थे, आज के दिन का आँकड़ा 14.72 लाख है। वही 558 प्राइवेट स्कूल बंद हो गए लेकिन बच्चें 2013-14 के मुकाबले 2017-18 में 2.64 लाख बढ़ गए। ASER की अभी हाल में आई रेपोर्ट की माने तो बच्चियों को सरकारी में और लड़कों को प्राइवेट में भेजने का चलन बढ़ा है और प्राइवेट स्कूलों में लड़कों का नामांकन लड़कियों से अधिक है। लेकिन दिल्ली के मामले में मामला उल्टा है। दिल्ली के गरीब माँ-बाप अब अपनी बेटियों को भी सरकारी की बजाय प्राइवेट में भेज रहे है।

Kejriwal Delhi School

दिल्ली में जहां 4 साल में सरकारी से 1 लाख बच्चियाँ कम हो गई, वही प्राइवेट में पढ़ने वाली बच्चियों की संख्या में लगभग डेढ़ लाख का इजाफा हुआ। (स्रोत: दिल्ली सरकार द्वारा जारी किए गए economic सर्वे की report ) अभिषेक रंजन, दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करने के बाद बीते 7 सालों से स्कूली शिक्षा पर कार्य कर रहे है। यूपी, बिहार, एमपी, राजस्थान के सरकारी स्कूलों के साथ काम किया। सरकारी स्कूली शिक्षा से जुड़े नीतिगत विषयों पर विशेष रुचि