Government to rein in OTT platforms: बेलगाम ओटीटी पर लगाम की तैयारी में सरकार, बंद होगा हिंसा व अश्लीलता का नंगा नाच
Government to rein in OTT platforms: केंद्र सरकार ओटीटी प्लेटफार्म (OTT platform) को लेकर खासी गंभीर है। ओटीटी पर दिखाए जा रहे कंटेट को लेकर शिकायतों की बाढ़ आई हुई है। फ्री स्पीच की आड़ में पार्न परोसते इस प्लेटफार्म को रेग्युलेट करने को लेकर चारों तरफ से आवाज़ें उठ रही हैं।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ओटीटी प्लेटफार्म (OTT platform) को लेकर खासी गंभीर है। ओटीटी पर दिखाए जा रहे कंटेट को लेकर शिकायतों की बाढ़ आई हुई है। फ्री स्पीच की आड़ में पार्न परोसते इस प्लेटफार्म को रेग्युलेट करने को लेकर चारों तरफ से आवाज़ें उठ रही हैं। केंद्र सरकार ने इस सिलसिले में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ओटीटी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दायरे के अधीन कर दिया है। यानि अब नेटफ्लिक्स, अमेजान प्राइम वीडियो, डिज्नी प्लस हाटस्टार जैसे सभी ओटीटी प्लेटफार्म आईबी मिनिस्ट्री के नियमों के दायरे में होंगे। केंद्र का ये कदम बताता है कि अब ओटीटी प्लेटफार्म्स की सीमा रेखा तय की जाएगी। फिल्मों और टीवी सीरियलों की तरह इसे भी सेंसरशिप के दायरे में लाया जाएगा।
ओटीटी के सेंसरशिप की तेजी से बढ़ती मांग की वजह इस प्लेटफार्म पर परोसा जा रहा कंटेट है। कोरोना काल में जब थियेटर और मल्टीप्लेक्स बंद थे, ओटीटी प्लेटफार्म्स की पहुंच और दायरे में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई। उसकी कमाई में भी कई गुने का इजाफा हुआ। मगर इस बीच एक बड़ी त्रासदी यह भी रही कि इस प्लेटफार्म ने सामाजिक मर्यादा और सरोकार की सारी बंदिशें तोड़ डालीं। अमेजन, नेटफिल्क्स और हाटस्टार जैसे प्लेटफार्म्स पर गाली, अपशब्द और सेक्स परोसती हुई वेबसीरीज की भीड़ पैदा हो गई। केंद्र सरकार के हरकत में आने से पहले ही ओटीटी पर परोसे जा रहे कंटेट को लेकर खासी हलचल शुरू हो गई थी। अक्टूबर 2018 में बांबे हाइकोर्ट की नागपुर बेंच ने ओटीटी प्लेटफार्म्स के लिए प्री स्क्रीनिंग बॉडी बनाए जाने का आदेश दिया जो एयर पर जाने से पहले उनके कंटेट को मॉनिटर करेगी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ओटीटी पर दिखाए जा रहे पार्न और सेक्सुअल कंटेट व आपत्तिजनक भाषा पर सख्त टिप्पणी की। दरअसल केंद्र सरकार ने ओटीटी को स्वयं से अपने आप में सुधार का पूरा मौका दिया। सरकार ने उन्हें स्व-नियंत्रण का ढांचा तैयार करने का अवसर दिया। मगर उन्होंने इस अवसर को भी जाया कर दिया। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने स्व-नियंत्रण का जो माडल तैयार किया, उसमें कोड ऑफ एथिक्स का नामोनिशान नही था। यह सिर्फ ध्यान भटकाने का तरीका भर था। इसके बाद भी सरकार हरकत में आई और रेग्युलेशन के पहले चरण के तौर पर ओटीटी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाया गया।
भारत में सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952 के तहत सेंसर बोर्ड की स्थापना की गई है। इसके तहत फिल्मों के सर्टिफिकेशन का तरीका तय किया गया है। अब ऐसी ही तैयारी ओवर द टॉप यानि ओटीटी प्लेटफार्म्स के साथ भी है। देश में ओटीटी प्लेटफार्म्स ने अप्रत्याशित प्रगति की है। साल 2018 से साल 2023 के बीच इसकी ग्रोथ 4464 करोड़ से बढ़कर 11976 करोड़ होने की उम्मीद है। इस भारी मुनाफे के बावजूद सामाजिक प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी का अंश भी न समझना, इस जरूरत पर मुहर लगाता है कि अब सरकार के हस्तक्षेप करने का समय आ गया है।
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