IITian CM के राज में गणित का है बुरा हाल

गणित का ये हाल देखकर हैरानी होती है कि IITian CM के राज में गणित शिक्षा को लेकर भी सरकार का रुख नेगेटिव ही है। जोर रिजल्ट बेहतर करने पर ही है, गणित शिक्षा को बढ़ावा देने पर नही।

Avatar Written by: January 27, 2020 4:10 pm
Delhi Aap School

क्या आपको पता है?

– दिल्ली सरकार के अधीन 1030 स्कूल चल रहे हैं, जिनमें से 720 स्कूलों में प्राइमरी सेक्शन भी चलते हैं।

– National Achievement Survey (NAS) की 2018 में आई रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली Learning Outcome के मामले में देश के 5 सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक है, जिसमें गणित भी शामिल है।

– NAS के मुताबिक कक्षा- 3 की गणित में दिल्ली देश के दूसरे सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य है।

– NAS में कक्षा 8 के केवल 34% बच्चें ही गणित के सवाल हल कर सकें। वही कक्षा -8 में केवल 44%

Kejriwal Delhi School

– अगर राष्ट्रीय औसत से तुलना करें तो दिल्ली के कक्षा-3, 5 और 8 के बच्चों का गणित में प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से 10 अंक कम था।

– दिल्ली में बारहवीं की परीक्षा में गणित लेकर बैठने वाले बच्चों की औसत संख्या लगातार घट रही है।

– 2019 में आयोजित 12 वीं की परीक्षा में गणित विषय लेकर लेकर परीक्षा में बैठे बच्चों की संख्या महज 15 फीसदी थी। 2017 में संख्या 11 फीसदी पर अटक गयी थी, वही पिछले वर्ष 17 फीसदी बच्चों ने ही गणित लिए थे। औसतन 10 % बच्चें कम हुये है।

– अगर बात 10 वीं में गणित की करें तो और बुरा हाल है। 2019 की 10वीं की परीक्षा में किसी एक विषय में फ़ेल होने वाले बच्चों में तकरीबन दो तिहाई बच्चें गणित के ही थे।

Delhi school Math
सांकेतिक

– सरकार ने गणित शिक्षण पर काम करने की वजाये परीक्षा रिजल्ट सुधारने पर अधिक जोर है।

– 2020 की 10वीं की परीक्षा के लिए दिल्ली से पंजीकृत कुल बच्चों में 73 फीसदी बच्चों ने गणित विषय का आसान विकल्प “बेसिक मैथ” चुना है। सीबीएसई ने इस वर्ष से “बेसिक मैथ” का विकल्प उन बच्चों को दिया है, जो आगे की पढ़ाई गणित लेकर नही करना चाहते। रोचक बात ये है कि पुरे देश से केवल 30 फीसदी बच्चों ने बेसिक मैथ का विकल्प चुना, जबकि देश के राजधानी में चल रहे वर्ल्ड क्लास स्कूलों में 73%

– बेसिक मैथ चुनने के लिए सरकार ने बजाप्ता सर्कुलर जारी कर शिक्षकों से कहा ताकि अधिक से अधिक बच्चों को बेसिक मैथ का विकल्प ही दिलवाया जा सकें। पूरी कवायद पढ़ाई से ज्यादा 13 साल के रिकॉर्ड तोड़ खराब रिजल्ट को येन केन प्रकारेण ठीक करने पर ही हैं।

– जिन 27 फीसदी बच्चों ने बेसिक मैथ का विकल्प नही चुना, उनमें से ज्यादातर बच्चें राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय और कुछ गिने-चुने सर्वोदय विद्यालय के ही है, जो हमेशा अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं।

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गणित का ये हाल देखकर हैरानी होती है कि IITian CM के राज में गणित शिक्षा को लेकर भी सरकार का रुख नेगेटिव ही है। जोर रिजल्ट बेहतर करने पर ही है, गणित शिक्षा को बढ़ावा देने पर नही।