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नो कॉलर आईडी” वाली कॉल के जरिए संकट में मसीहा के तौर पर प्रकट होते हैं पीएम मोदी, रूबिका लियाकत की आंखों देखी गवाही

पीएम नरेंद्र मोदी ने रूबिका को पत्र लिखा। मां के लिए संवेदनाएं प्रकट कीं। रूबिका के मुताबिक वे ताउम्र इसे नहीं भूल सकेंगी। पीएम ने घर के बड़े की तरह उनकी मदद की। हर पल उनके परिवार का ध्यान रखा। ऐसी कितनी ही कहानियां हैं जो पीएम के इस मानवतापूर्ण रवैए की गवाही देती हैं। वरिष्ठ पत्रकार और देश के सूचना आयुक्त उदय माहूरकर का भी ऐसा ही अनुभव है। कोविड काल में उनकी पत्नी स्मिता माहूरकर का ऑक्सीजन लेवल तेजी से गिरने लगा। यह 55 तक पहुंच गया।

पीएम मोदी बेहद ही संवेदनशील इंसान हैं। वे बिना शोर किए, बिना किसी प्रचार के बहुत कुछ ऐसा करते रहते हैं जिसके बारे में सुनकर आप दंग रह जाएंगे। मशहूर टीवी एंकर रूबिका लियाकत की मां फातिमा लियाकत की तबीयत बेहद खराब थी। वे उदयपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती थीं। इसी बीच ईद का दिन आ गया। 14 मई को ईद के दिन रूबिका लियाकत के मोबाइल पर एक नो कॉलर आईडी वाला कॉल आया। पहले वे हिचकिचाईं क्योंकि पता नहीं था कि कौन कॉल कर रहा है। आखिरकार उन्होंने फोन उठाया। उधर से आवाज़ आई प्रधानमंत्री बात करना चाहते हैं। पीएम मोदी ने रूबिका को ईद की बधाई दी।

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उन्हें रूबिका की मां के बारे में नहीं मालूम था। जब रूबिका ने बताया तो वे बेहद चिंतित हो उठे। मां का हाल पूछा। रूबिका से कहा कि मां से बात कराएं। रूबिका की मां बोल पाने की स्थिति में नहीं थीं मगर जब उन्हें ये पता चला कि फोन पर प्रधानमंत्री हैं और उनकी मां का हाल जानना चाह रहे हैं तो वे भाव विह्वल हो गईं। उन्होंने हाथ उठाकर पीएम की भावनाओं को स्वीकार करने का संकेत किया। उस दिन के बाद से तस्वीर बदल गई। रोज़ ही प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आता। देश के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरों की टीम रूबिका की मां के इलाज में जुट गई। एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया और इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलियरी साइसेंज के डायरेक्टर एसके सरीन उदयपुर के उस अस्पताल के डॉक्टरों के निरंतर संपर्क में रहे। उनका मार्गदर्शन करते रहे।

इतन ही नहीं बल्कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया का कार्यालय जरूरी दवाओं की आपूर्ति के लिए एक पैर पर खड़ा रहा। 26 दिनों तक पैंक्रेटाइटिस की बीमारी से जूझने के बाद 28 मई को उन्होंने आंखे मूंद लीं। पीएम नरेंद्र मोदी ने रूबिका को पत्र लिखा। मां के लिए संवेदनाएं प्रकट कीं। रूबिका के मुताबिक वे ताउम्र इसे नहीं भूल सकेंगी। पीएम ने घर के बड़े की तरह उनकी मदद की। हर पल उनके परिवार का ध्यान रखा। ऐसी कितनी ही कहानियां हैं जो पीएम के इस मानवतापूर्ण रवैए की गवाही देती हैं। वरिष्ठ पत्रकार और देश के सूचना आयुक्त उदय माहूरकर का भी ऐसा ही अनुभव है। कोविड काल में उनकी पत्नी स्मिता माहूरकर का ऑक्सीजन लेवल तेजी से गिरने लगा। यह 55 तक पहुंच गया।


यह बेहद गंभीर स्थिति थी। पीएम मोदी तक इसकी खबर पहुंचाई गई। वे तुरंत एक्शन में आए। स्वास्थ्य मंत्री से लेकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के अधीक्षक तक उन्हें मदद पहुंचाने में जुट गए। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। 19 दिन के उपचार के बाद वे ठीक होकर घर आ गईं। ये उनके लिए पुर्नजन्म सरीखा था। इस दौरान पीएम मोदी लगातार उनका हाल लेते रहे।

इस कोरोना काल में ऐसे सैकड़ों लोगों को पर्सनली फोनकर पीएम मोदी ने उनका हालचाल जाना। उन्हें मदद पहुंचाई। अकेले गुजरात में ही संघ के ऐसे कितने ही पदाधिकारी और प्रचारक हैं जिनका हाल जानने के लिए पीएम लगातार संपर्क में बने रहे। प्रवीण भाई ओतिया, मुकुंदराव देवभानकर, भगीरथभाई देसाई और हरीशभाई रावल के फोन इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पीएम मोदी ने कोरोना के विपदा काल में न सिर्फ उनका हाल जाना बल्कि पूरी मदद पहुंचाने की कोशिश भी की।

पीएम मोदी के भीतर की इंसानियत का ये धागा उनसे भी जुड़ा है जो उनके आलोचक हैं। अपने सत्ता विरोधी रूख के लिए मशहूर दिल्ली के एक अखबार के स्थानीय संपादक को भी पीएम मोदी का फोन गया। वे एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। पीएम ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और सभी जरूरी मदद का आश्वासन भी दिया। बेंगलूर का स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान पीएम मोदी की इसी सदाशयता की गवाही देता है। पीएम कितने गरीब बच्चों को यहां भेजकर उनका इलाज करवा चुके हैं। इंडिया टीवी के गुजरात ब्यूरो प्रमुख निर्णय कपूर का भी यही तर्जुबा है। साल 2004 में गुजरात में कच्छ इलाके की कवरेज के दौरान उनकी छाती में तेज दर्द उठा। स्थानीय इलाज से राहत नहीं मिली तो इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया। पीएम मोदी ने तुरंत एक सरकारी विमान कच्छ के लिए रवाना किया। इसमें विशेषज्ञ डाक्टरों का एक दस्ता मौजूद था। निर्णय को हार्ट अटैक हुआ था। विमान उन्हें लेकर सीधे अहमदाबाद पहुंचा। रास्ते में उन्हें जरूरी उपचार दिया गया। अहमदाबाद पहुंचते ही उन्हें एडमिट कराया गया। उनकी जान बची। पीएम ने उन्हें फोन किया। उनका हाल जाना और साथ ही ताकीद की, कि सावधान रहें। निर्णय और उनका परिवार पीएम मोदी का हमेशा-हमेशा के लिए ऋणी है। पीएम मोदी की यही सदाशयता उन्हें महान बनाती है। ये उनके व्यक्तित्व का वह पहलू है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं।