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Assam: दरांग में अवैध कब्ज़ा हटाने पर बवाल, कौन है जिम्मेदार? कांग्रेस के वोट बैंक की राजनीति से जुड़े हैं तार

Assam: असम सरकार का यह अभियान कोई आज का नहीं है। अवैध जमीन पर कब्जा हटाने को लेकर नई सरकार बनने के बाद यानी जून से ही अभियान छेड़े हुए है। 20 सितंबर को इसी के तहत दरांग जिले के सिपाझार में प्रशासन ने लगभग 4,500 बीघा जमीन से कब्जा कराया।

असम के दरांग जिले में गुरुवार को मचे बवाल में दो लोगों की मौत हो गई है। मामला था सरकारी ज़मीन से अवैध कब्ज़ा खत्म करना। जब असम पुलिस वहां से अतिक्रमण हटाने गई तो स्थानीय लोगों के साथ भिड़ंत हो गई, जिसमें पुलिस फायरिंग में दो लोगों की जान चली गई। दरांग में इस अतिक्रमण विवाद पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। क्या है इसके पीछे की कहानी? मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही हिमंता सरकार क्यों जुटी है इस अवैध कब्ज़े को खत्म करने में? इस मामले का क्या है कांग्रेस राज से कनेक्शन? क्या कांग्रेस के वोट बैंक की राजनीति है जिम्मेदार?

darang assam

दरांग में बवाल की पूरी कहानी

-कांग्रेसी सरकारों के दौर में असम में जगह-जगह जमकर अवैध कब्जे हुए। सरकारी जमीनों पर एक खास वोट बैंक को बसाया गया। अब हिमंता बिसवा सरमा की सरकार इसी कब्जे को खत्म कर रही है, इसीलिए जानबूझकर असम को फूंकने की साजिश की जा रही है और सुरक्षाबलों को टारगेट किया जा रहा है। दरांग में यही कहानी दोहराई गई।

-असम सरकार का मकसद एकदम साफ है। सरकार ने साफ कर दिया है कि अवैध कब्जेदारों से मुक्त कराई जा रही इस जमीन का उपयोग कृषि परियोजनाओं के लिए किया जाएगा। इससे असम का आर्थिक विकास और उसके मूल निवासियों के हितों की रक्षा होगी। मगर कांग्रेस समेत लेफ्ट लिबरल मीडिया को दर्द इसलिए हो रहा है क्योंकि इस गांव में ज्यादातर पूर्वी बंगाल मूल के मुसलमान रहते हैं। राहुल गांधी अवैध कब्जेदार मुसलमानों को असम का भाई-बहन बताकर संरक्षण दे रहे हैं। असम में इसी तरह अवैध घुसपैठ और अवैध कब्जा करवाकर कांग्रेस ने अल्पसंख्यक वोट बैंक का जमकर तुष्टीकरण किया है और राज किया है।

Rahul Gandhi

-असम सरकार का यह अभियान कोई आज का नहीं है। अवैध जमीन पर कब्जा हटाने को लेकर नई सरकार बनने के बाद यानी जून से ही अभियान छेड़े हुए है। 20 सितंबर को इसी के तहत दरांग जिले के सिपाझार में प्रशासन ने लगभग 4,500 बीघा जमीन से कब्जा कराया। यहां 800 परिवारों ने अवैध कब्जा जमा रखा था। खुद राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। यही वजह है इस अभियान को डिरेल करने के लिए एक खास तबके को उकसाया गया और उसे पुलिस बल पर जानलेवा हमले करने के लिए तैयार किया गया।

-गुरुवार को जब प्रशासन ने एक बार फिर से करीब 200 परिवार के खिलाफ इस अभियान को शुरू किया तो अतिक्रमणकारियों ने इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया और लाठी-डंडे से लैस होकर पुलिस पर हमला कर दिया। पूर्वी बंगाल मूल के इन मुसलमानों ने पुलिस वालों की जान लेने की कोशिश की। इसके बाद ही फायरिंग की घटना हुई। यह फायरिंग आत्मरक्षा में की गई मगर अल्पसंख्यक वोट बैंक के भूखे नेताओं ने पूरे मामले को ट्विस्ट करके इसे असम के भाइयों और बहनों से जोड़ दिया।

– अब इस घटना का विरोध करने वालों का प्रोफाइल जान लीजिए। इससे पूरी कहानी समझ में आ जाएगी। घटना के विरोध में ऑल असम माइनोरिटीज स्टूडेंट्स यूनियन और जमीयत जैसे संगठनों ने शुक्रवार को दरांग जिले में 12 घंटे का बुलाया है। यह वे संगठन है जिनके पास सिर्फ और सिर्फ कट्टरपंथी मुसलमानों की राजनीति का कॉपीराइट है। इनकी योजना अभी और भी बलवा, उपद्रव व खून खराबा कराने की है। इन्होंने इसकी खातिर पूरा प्लॉट तैयार कर लिया है। इस प्लॉट की अगली कड़ी के तहत इन्होंने नई मांग पेश कर दी है कि  अगर सरकार बेदखल परिवारों को रहने के लिए जमीन नहीं देती है तो मृतकों के शव उनके परिवार नहीं लेंगे। यानि जानबूझकर आग और भड़काई जा रही है।

himanta biswa sarma

-इस घटना के दौरान जो भी गतिविधियां नियम कानूनों के खिलाफ देखी गईं, उस पर सरकार ने तुरंत कार्रवाई की। प्रदर्शनकारी के शव के साथ बर्बरता करने वाला कैमरामैन गिरफ्तार हुआ। इस घटना का खुद असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने संज्ञान लिया। उन्होंने कहा, ‘मैं इस घटना की निंदा करता हूं। ये दुर्भाग्यपूर्ण है। जांच में अगर कोई भी उल्लंघन सामने आता है तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे।’

-मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने की होड़ में जुटे ये राजनीतिक दल इस सच को बताने में गुरेज कर रहे हैं कि इन अतिक्रमणकारियों ने प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध करते हुए पहले पथराव शुरू किया जिसमे 9 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। क्या इन पुलिस वालों के परिवार नही हैं? या इनके कोई मानवाधिकार नही हैं?

-राहुल गांधी सिर्फ और सिर्फ असम में अवैध कब्जा करने वाले मुसलमानों के साथ खड़े हैं। उनका ट्वीट इसी बात की गवाही दे रहा है।

-असम कांग्रेस पूरी तरह से इन अवैध मुस्लिम कब्जेदारों के पक्ष में उतर आई है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने खुलकर अतिक्रमणकारियों का सपोर्ट शुरू कर दिया है।  उनका बयान है कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की मनमानी के चलते 1970 के दशक से धौलपुर में बसे लोगों से जमीन खाली करवाई जा रही है। सरकार को हटाना ही था तो पहले उनके रहने की व्यवस्था करते। जबकि बेदखल करने से पहले सरकार को इन लोगों को फिर से कहीं और बसाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी। यानी अवैध घुसपैठ और अवैध कब्जा करने वालों के लिए सरकार से डिमांड की जा रही है कि वह इनके रहने का इंतजाम करे। यह डिमांड वे लोग कर रहे हैं जिन्होंने सालों साल इन अवैध कब्जेदारों को अपना वोट बैंक बनाकर ज़मीनों पर अवैध कब्जे करवाए हैं। असम के मूल निवासियों का हक मारा है।