75th Independence Day: नीरज चोपड़ा की कुछ उपलब्धियों का वजन आखिर क्यों है इतना भारी, जो मिल्खा सिंह ना कर पाए वो कर गया ये एथलीट

Neeraj Chopra: किसी भी के खिलाड़ी व उसके लोगों का सपना होता है कि ओलंपिक में उनके देश को गोल्ड मेडल मिले। ठीक ऐसी ही भारत के खिलाड़ी व देशवासियों की तम्नना थी।

Avatar Written by: August 11, 2022 4:27 pm
neeraj chopra

नई दिल्ली। इस साल देश आजादी के 75 वर्ष पूरे करेगा और इसके लिए हिंदुस्तानवासी  ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ बनाने की तैयारियों मे लगे हुए हैं। ऐसे में NEWSROOMPOST भी आपके लिए खेल जगत के कुछ सितारों के ऐसे कारनामे में आपको बताएगा, जब उन्होंने अपने प्रदर्शन की वजह से हिंदुस्तान का सिर राष्ट्रीय स्तर पर उंचा किया। इसी कड़ी में आज हम देश के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा की भारत को गौरवानवित करने वाली कहानी बताने जा रहे हैं। साल 1947 यानी भारत को जब अंग्रेजों से आजादी मिली तब से लेकर अब तक कुल 17 बार भारत ने ओलंपिक में हिस्सा लिया है। साल 1948 में पहली बार लंदन में हुए ओलंपिक में भारत ने एक स्वतंत्र देश के रूप में हिस्सा लिया था। इसके बाद 16 बार हिंदुस्तान ने खेल के इस कुंभ में अपनी भागिदारी निभाई लेकिन एथलेटिक्स के ट्रैक फील्ड में कोई भी मेडल हासिल नहीं किया था। इसके बाद इतिहास का पन्ना पलटते हुए भारत के लाल नीरज चोपड़ा ने जैनलिन थ्रोअर में ऐतिहासिक गोल्ड मेडल जीतकर हिंदुस्तान के सात दशकों के इंतजार को खत्म किया। ये भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल था और गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा के लिए उससे भी ज्यादा गौरव का सबब था कि उन्होंने देश के लिए इतने सालों के बाद एथलेटिक्स के ट्रैक फील्ड में खेल के इस कुंभ में स्वर्ण जैसा अहम पदक दिलवाया।

neeraj chopra 2

 

जो मिल्खा सिंह ना कर पाए वो कर गए नीरज 

किसी भी के खिलाड़ी व उसके लोगों का सपना होता है कि ओलंपिक में उनके देश को गोल्ड मेडल मिले। ठीक ऐसी ही भारत के खिलाड़ी व देशवासियों की तम्नना थी। अपने देशवासियों की इसी तम्नना को पूरा करते हुए नीरज चोपड़ा ने टोक्यो के खेल गांव में 87.58 मीटर की दूरी तक भाला फेक भारत को ओलंपिक में उसका पहला गोल्ड मेडल दिलवाया था। ऐसा नहीं है कि इससे पहले किसी खिलाड़ी से ओलंपिक में गोल्ड की उम्मीद ना की हो। मिल्खा सिंह, पीटी  उषा और अंजू बॉबी जॉर्ज जैसे बड़े एथलीट्स ने हिंदुस्तान के खाते में गोल्ड डालने की भरपूर कोशिश की लेकिन वो ऐसा करने में असमर्थ हो गए। इतने बड़ी शख्सियत जो नहीं कर पायी वो भारत के युवा एथलीट नीरज चोपड़ा ने कर दिखाया। इसके बाद नीरज को देशभर से भरपूर प्यार मिलने लगा और देखते ही देखते हरियाणा के पानीपत का ये लड़का देश के रियल हीरो बन गया। हिंदुस्तान के लाल नीरज चोपड़ा की ये उपलब्धि स्वतंत्र भारत के लिए सबसे सुनहरे पलों में से एक है। टोक्यो ओलंपिक से अलावा नीरज चोपड़ा ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता है। इसके अलावा एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स, वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप और एशियन गेम्स में भी वे गोल्ड मेडल को अपने नाम कर चुके हैं। ये ही वजह है कि इस साल जब आजादी के अमृत महोत्सव में देश को गौरवांवित करने वाले लोगों की बात होगी तो वहां पर भारत के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा का नाम जरूर आएगा।

कौन हैं नीरज चोपड़ा? 

विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन करने वाले नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत स्थित एक छोटे से गांव खांद्रा के किसान परिवार में हुआ था। नीरज के पिताजी का नाम सतीश कुमार है और वो पेशे से एक छोटे किसान हैं। अगर माताजी की बात करें तो उनका नाम सरोज देवी है और वो एक गृहणी हैं। महज 11 वर्ष की उम्र में नीरज की रुची जेनलिन थ्रो के लिए जाग चुकी थी। उसके बाद वे पानीपत स्टेडियम में जय चौधरी को प्रैक्टिस करते हुए देखा करते थे। यही से भारत का इस खेल में एक सुनहरा भविष्य सुनिश्चित होने लगा और इसका नतीजा टोक्यो ओलंपिक के दौरान दिखा। जानकारी के लिए बता दें कि नीरज एथलिट होने के अलावा भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर भी तैनात हैं। उनको सेना में रहते हुए अपनी बहादुरी के लिए सेना के विशिस्ट सेवा मेडल से भी नवाजा जा चुका है।