नई दिल्ली। जहां एक तरफ दुनिया के कई देश कोरोना के कहर से पस्त हैं और उनकी अर्थव्यवस्था भी चरमरा रही है तो वहीं भारत के लिए अर्थव्यवस्था से जुड़ी एक अच्छी खबर सामने आई है। आपको बता दें कि कोरोना से निपटने में भारत की पूरी दुनिया में वाहवाही हो रही है साथ ही पीएम मोदी की तारीफ भी लेकिन इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी बात कही है जो भारत के लिए अच्छी खबर हैं।
आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF-International Monetary Fund) की ओर से जारी वर्ल्ड इकाेनाॅमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, 1.9% की विकास दर के बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। वहीं, चीन की विकास दर 1.2% रहने का अनुमान है। हालांकि, IMF ने आशंका जताई है कि कोरोना के चलते इस साल दुनिया की अर्थव्यवस्था में 90 साल पुरानी महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट आ सकती है।
आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (IMF) ने कहा, कोरोना संकट अगले दो साल में विश्व की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का नौ खरब डॉलर बर्बाद कर देगा। उन्होंने कहा कि 2021-22 में भारत की अर्थव्यवस्था का 7.4 फीसदी की ग्रोथ हासिल करना आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था के भी 5.8 फीसदी की दर से आगे बढ़ने की बात कही गई है। अपने इस अनुमान को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का कहना है कि कोरोना से निपटने में 2020 का पूरा साल चला जाएगा, लेकिन उसके बाद तेजी से सुधार देखने को मिलेगा। IMF का कहना है कि 2020-21 की दूसरी छमाही में भारत की ग्रोथ 4.2 फीसदी के करीब रह सकती है।
गोपीनाथ का मानना है कि जिस तरह से कोरोना के जाल में दुनिया के बड़े-बड़े देश फंसे हैं उसको देखते हुए 1930 की आर्थिक महामंदी के बाद ऐसा पहली बार हो सकता है कि विकसित और विकासशील देश दोनों ही मंदी के चक्र में फंस जाएं। विकसित देशों के मामले में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी है कि इनकी अर्थव्यवस्थाएं कोरोना से पहले के दौर के उच्च स्तर को साल 2022 से पहले हासिल नहीं करने वाली हैं।
अमरीकी अर्थव्यवस्था को इस साल 5.9 फ़ीसदी का नुक़सान उठाना पड़ सकता है. साल 1946 के बाद उसके लिए ये सबसे बड़ा नुक़सान होगा. अमरीका में इस साल बेरोज़गारी दर 10.4 फ़ीसदी रहने की संभावना है। साल 2021 तक अमरीकी अर्थव्यवस्था में 4.7 फ़ीसदी की दर से विकास के साथ कुछ सुधार होने की उम्मीद जताई गई है। चीन के मामले में आईएमएफ़ का कहना है कि इस साल उसकी अर्थव्यवस्था 1.2 फ़ीसदी के साथ बढ़ सकती है। साल 1976 के बाद चीन के लिए ये सबसे धीमी विकास दर होगी।