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मुकेश अंबानी दुनिया के छठे सबसे अमीर शख्स बने, गूगल के को-फाउंडर को पीछे छोड़ा

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी अब दुनिया के छठवें सबसे अमीर शख्स बन गए हैं। ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के ताजा आंकड़े के मुताबिक उन्होंने अब गूगल के को-फाउंडर लैरी पेज को भी पीछे छोड़ दिया है।

नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी अब दुनिया के छठवें सबसे अमीर शख्स बन गए हैं। ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के ताजा आंकड़े के मुताबिक उन्होंने अब गूगल के को-फाउंडर लैरी पेज को भी पीछे छोड़ दिया है। मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति अब 72.4 अरब डॉलर हो गई है।

इससे पहले जून में मुकेश अंबानी ने दुनिया के शीर्ष 10 अमीर व्यक्तियों की सूची में शामिल हुए थे। सोमवार को उन्होंने हैथवे बर्कशायर के वॉरेन बफे का स्थान लिया था, जो कि 7वें पायदान पर थे। मुकेश अंबानी पूरे एशिया महाद्वीप से इकलौते ऐसे व्यक्ति हैं, जो दुनिया के शीर्ष 10 अमीरों की सूची में शामिल हैं।

रिलायंस इंडस्ट्रीज चेयरमैन की संपत्ति में बढ़ोतरी का कारण रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों  में लगातार इजाफा रहा है। मार्च के बाद से अब तक RIL के शेयरों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। दरअसल, हाल ही में रिलायंस की टेक्नोलॉजी इकाई जियो प्लेटफॉर्म्स ने कई वैश्विक कंपनियों के साथ डील का ऐलान किया है, जिसमें फेसबुक भी शामिल है। इसके बाद से ही RIL के शेयरों में तेजी देखने को मिल रही है।

तीन महीने में​ रिलायंस जियो (Reliance Jio) में 12 विदेशी कंपनियां निवेश कर चुकी हैं। फेसबुक, सिल्वर लेक पार्टनर्स, vista, जनरल अटलांटिक, KKR, मुबाडाला, सिल्वर लेक, ADIA, TPG, L Catterton, PIF ने ​जियो में निवेश किया है। रिलायंस ने जियो प्लेटफॉर्म्स की हिस्सेदारी बिक्री से 117,588.45 करोड़ रुपये जुटाए हैं। आरआईएल को अब तक जियो प्लेटफॉर्म्स की 25.09 हिस्सेदारी के लिए निवेश मिल चुका है।

मुकेश अंबानी का ऊर्जा साम्राज्य धीरे-धीरे ई-कॉमर्स में बदल रहा है, जिसमें तकनीकी दिग्गज भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल कारोबार का एक हिस्सा लेना चाहते हैं। दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश ने अपनी अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से सिलिकॉन वैली से विदेशी कंपनियों ने रूचि दिखाई है।, वहीं Google ने सोमवार को कहा कि यह भारत में डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने में तेजी लाने में मदद करने के लिए आने वाले वर्षों में $ 10 बिलियन खर्च करेगा।