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Petro: और कम हो सकती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें, भारत समेत 5 देशों ने की अनोखी पहल

पिछले महीने कच्चे तेल की कीमत 86 डॉलर प्रति बैरल थी जो अभी 79 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है। भारत में विशाखापत्तनम, मंगलुरु और पादूर में कच्चे तेल के रणनीतिक भंडार हैं। यहां कुल 3.8 करोड़ टन कच्चा तेल संचित करके रखा गया है।

नई दिल्ली। एक्साइज ड्यूटी में पिछले दिनों कटौती कर पेट्रोल और डीजल की हाहाकारी कीमत पर लगाम लगाने के बाद मोदी सरकार अब इनकी कीमत में और कमी करने की तैयारी में है। इसके लिए मोदी सरकार ने अमेरिका, जापान, चीन और दक्षिण कोरिया की सरकारों से हाथ मिलाकर एक अनोखी पहल की है। इससे तेल उत्पादक ओपेक देशों पर दबाव बनेगा और वे कच्चे तेल के उत्पादन को बढ़ाने पर मजबूर होंगे। तो अब आपको बताते हैं कि सस्ते पेट्रोल और डीजल का तोहफा मोदी सरकार अपनी इस अनोखी पहल से किस तरह देने जा रही है। मोदी सरकार समेत पांचों देशों ने अपने रणनीतिक भंडार में मौजूद कच्चे तेल के एक हिस्से को घरेलू इस्तेमाल में प्रयोग करने का फैसला किया है। इसका मतलब ये है कि बाजार से कच्चे तेल की खरीद नहीं की जाएगी, बल्कि खास हालात के लिए संचित करके रखे गए कच्चे तेल का इस्तेमाल किया जाएगा। पहली बार भारत 50 लाख बैरल क्रूड जारी करेगा। पिछले महीने कच्चे तेल की कीमत 86 डॉलर प्रति बैरल थी जो अभी 79 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है। भारत में विशाखापत्तनम, मंगलुरु और पादूर में कच्चे तेल के रणनीतिक भंडार हैं। यहां कुल 3.8 करोड़ टन कच्चा तेल संचित करके रखा गया है।

Modi photo petrol pump

मोदी सरकार ने इस बारे में एलान करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाइड्रोकार्बन की कीमत सही तरीके से तय होनी चाहिए। तेल उत्पादक देश मांग को नजरअंदाज कर जिस कृत्रिम तरीके से कीमत तय करते हैं, भारत उसका हमेशा से विरोध करता रहा है। भारत के इस फैसले के कुछ ही घंटे बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी 5 करोड़ बैरल अपने रणनीतिक भंडार से जारी करने का एलान कर दिया। अमेरिका ने भी कहा है कि वह इस बारे में भारत, जापान, चीन के साथ विमर्श कर सामूहिक फैसला कर रहा है।

यह पहला मौका है कि भारत, अमेरिका, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन जैसे दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल के खरीदार देशों ने एकमत होकर तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है। विशेषज्ञों के मुताबिक इससे बाजार में जो माहौल बनेगा उससे क्रूड की कीमत घटकर 72 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकती हैं। देशों की तरफ से यह मांग की जा रही है कि ओपेक देशों को क्रूड की कीमतों को 70 डालर के आसपास स्थिर रखने की कोशिश करनी चाहिए।