ब्लॉग

Rahul Gandhi: बता दें कि नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक सभी जातिगत जनगणना के खिलाफ रहे हैं। राहुल गांधी इस आधार पर राजनीति करना चाह रहे हैं जबकि उनकी अपनी पार्टी के लोग ही उनकी हवा निकाल रहे हैं। राहुल गांधी को लगता है कि बीजेपी के खिलाफ जातिगत जनगणना का दांव अचूक हथियार साबित हो सकता है, क्योंकि मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना कराने से इनकार कर दिया है। बहरहाल यदि कांग्रेस की बात करें तो जातिगत जनगणना पर सबसे पहले 1951 में चर्चा हुई थी। तब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस मांग को खारिज कर दिया था।

विधानसभा चुनावों में लगातार हार और लोकसभा चुनावों में घटती सीटों से तय है कि कांग्रेस के हाथ से नार्थ ईस्ट का वोटर अब छिटक चुका है। कभी भाजपा के लिए अछूत जैसा रहा नार्थ ईस्ट आज भाजपा का किला बनता जा रहा है।

लोकसभा चुनावों में विपक्ष के लिए जो सबसे बड़ी समस्या है वह है जनता का इरादा। जनता अपना इरादा छिपा नहीं रही है। आप अलग—अलग टीवी चैनलों द्वारा चुनाव पूर्व किए किए सर्वे देखें उसमें लोगों की राय स्पष्ट बता रही है कि वे क्या चाहते हैं।

Namami Gange : गंगा में रोजाना प्रवाहित हो रहा कई हजार करोड़ लीटर प्रदूषित जल, एनजीटी की ताजा रिपोर्ट में खुलासा

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण करते हुए, नागरिकता संशोधन अधिनियम को निंदनीय तरीके से पुनर्जीवित करके अपने डूबते जहाज को बचाना चाहते हैं।

Lok Sabha elections: राहुल गांधी ने राफेल विमानों के मुद्दे को लेकर पिछली बार हर तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया और भाजपा को घेरने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सके। यहां तक कि उन्हें " चौकीदार चोर है" कहने पर सर्वोच्च न्यायालय में माफी भी मांगनी पड़ी। अडानी हिंडनबर्ग मामले में जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी तो संसद में राहुल गांधी ने बड़े-शोर से भाषण दिया था।

चुनाव से पहले या परिणाम आने के बाद विरोधी दलों का आपस में गठजोड़ होना कोई नई बात नहीं है परंतु किसी दो दलों में एक स्थान पर तो गठबंधन हो और दूसरी जगह पर वही दल एक-दूसरे से भिड़ते दिखें तो यह लोकतंत्र में कहीं भी स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।

उधर सपा के यादव वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने अपना तीर तरकश से निकाल दिया है। भाजपा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के जरिए यूपी में यादव बिरादरी के बीच पैठ बनाना चाहती है।

गुजरात में 1990 के बाद से कांग्रेस की वापसी नहीं पाई है। दिल्ली में 2013 तक दिल्ली लगातर तीन बार कांग्रेस सत्ता में रही थी। आम आदमी पार्टी का उदय होने के साथ कांग्रेस तब से लगातार दिल्ली की सत्ता से बाहर है। दिल्ली में कांग्रेस के पास नेतृत्व ही नहीं है। महाराष्ट्र में कभी कांग्रेस का एक छत्र राज्य था।