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Covid: IIT कानपुर के प्रोफेसर की भविष्यवाणी, जानिए आपके राज्य में कब आएगा कोरोना का पीक

प्रोफेसर अग्रवाल ने 11 जनवरी तक के आंकड़ों के आधार पर पहले कहा था कि 23 जनवरी तक देश में कोरोना का पीक आ सकता है। उस दौरान हर रोज करीब साढ़े 7 लाख नए मरीज मिलने की भविष्यवाणी उन्होंने की थी। अब उनका कहना है कि पीक के वक्त भी 4 लाख तक हर रोज मरीज शायद न मिलें।

कानपुर। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने एक बार फिर अपने ‘सूत्र’ नाम के गणितीय मॉडल के जरिए देश में मौजूदा कोरोना लहर की पीक का अनुमान लगाया है। उन्होंने बताया कि 13 बड़े राज्यों में कोरोना की लहर का पीक कब आ चुका है या आने वाला है। मणींद्र अग्रवाल पहले भी कोरोना की दूसरी लहर के बारे में अपने गणितीय मॉडल का इस्तेमाल कर सटीक भविष्यवाणी कर चुके हैं। उनका अब कहना है कि फरवरी के अंत तक कोरोना की लहर खत्म हो जाएगी। अपने गणितीय मॉडल के जरिए प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया है कि कुछ जगह पीक आ चुका है और कुछ जगह जनवरी के अंत तक पीक आ जाएगा।

professor manindra agrawal

प्रोफसर मणींद्र अग्रवाल के सूत्र मॉडल के मुताबिक मुंबई में 12 जनवरी को कोरोना का पीक आ चुका है। कोलकाता का पीक 13 जनवरी को आया। दिल्ली का पीक 16 जनवरी और बिहार का 17 जनवरी को आ चुका। वहीं, आज यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र में कोरना का पीक होने की बात उन्होंने कही है। उन्होंने भविष्यवाणी की है कि हरियाणा में 20 जनवरी, बेंगलुरू में 22 जनवरी, कर्नाटक में 23 जनवरी, तमिलनाडु में 25, असम में 26 और आंध्रप्रदेश में 30 जनवरी को कोरोनाका पीक आएगा। ऐसे में देखें, तो फरवरी के दूसरे हफ्ते से कोरोना मरीजों का ग्राफ लगातार कम होने के आसार दिख रहे हैं।

iit kanpur

प्रोफेसर अग्रवाल ने 11 जनवरी तक के आंकड़ों के आधार पर पहले कहा था कि 23 जनवरी तक देश में कोरोना का पीक आ सकता है। उस दौरान हर रोज करीब साढ़े 7 लाख नए मरीज मिलने की भविष्यवाणी उन्होंने की थी। अब उनका कहना है कि महामारी की इस लहर का रास्ता पहले ही बदल चुका है और अब पीक के वक्त भी 4 लाख तक हर रोज मरीज शायद न मिलें। बता दें कि फिलहाल भारत में हर रोज 2.5 लाख के करीब कोरोना मरीज एक दिन में मिल रहे हैं। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे तैयारी रखें, ताकि मरीजों को अगर ऑक्सीजन वगैरा की जरूरत हो, तो उन्हें तत्काल मुहैया कराया जा सके। वैसे, इस कोरोना लहर के दौरान ज्यादातर मरीजों में हल्के लक्षण ही दिख रहे हैं।