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अमेरिकन यूनिवर्सिटी के नाम से आई रिपोर्ट- भारत में जून तक होंगे कोरोना के करोड़ों मरीज, लेकिन अब यूनिवर्सिटी ने दी सफाई

इस सफाई के बाद स्पष्ट है कि जिस रिपोर्ट के सहारे भारत में पैनिक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है वो रिपोर्ट जॉन्स हॉपिकंस यूनिवर्सिटी की नहीं है, बल्कि इस यूनिवर्सिटी के लोगो का इस्तेमाल किया गया है।

नई दिल्ली। कोरोनावायरस के भारत में फैलने को लेकर एक रिपोर्ट वायरल हो रही है जिसमें कहा जा रहा है कि भारत में जून तक कोरोना के मरीजों की तादाद कोरोड़ों में हो जाएगी। रिपोर्ट में अमेरिका की रिसर्च यूनिवर्सिटी जॉन्स हॉपिकंस यूनिवर्सिटी का लोगो लगा हुआ है, जिससे इसकी विश्वसनियता पर लोगों को संदेह कम हो रहा है, लेकिन इसी यूनिवर्सिटी ने अपने एक ट्वीट में साफ किया कि इस रिपोर्ट से उसका कोई वास्ता नहीं।

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बता दें कि वायरल हो रही रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, मुमकिन है कि भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन उतना प्रभावी न साबित हो और आने वाले महीनों में कोरोना वायरस से संक्र मित लोगों की संख्या मार्च में सामने आए मामलों की तुलना बहुत ज्यादा हो जाए। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत में आगे आने वाले तीन महीनों में अगर हालात कुछ काबू में रहे तो कोरोना के 12 करोड़ मामले और बुरी परिस्थितियों में 25 करोड़ मामले सामने आ सकते हैं।

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इस रिपोर्ट को लेकर ट्विटर पर जॉन्स हॉपिकंस यूनिवर्सिटी को टैग करके लोगों ने सवाल पूछा कि क्या यह रिपोर्ट आपके छात्रों द्वारा बनाई गई है, यह भारत में काफी वायरल हो रहा है जोकि भारत में किसी भयावह स्थिति के लिए आगाह कर रहा है।

JHU tweet

ऐसे ट्वीट पर जॉन्स हॉपिकंस यूनिवर्सिटी ने अपनी तरफ से सफाई दी है। यूनिवर्सिटी ने इस रिपोर्ट को लेकर साफ मना कर दिया है कि इस रिपोर्ट में हमारे लोगो का इस्तेमाल गलत तरीके से हुआ है। इस पेपर का इस्तेमाल किया गया है। आपको बता दें कि इस यूनिवर्सिटी ये भी साफ किया कि वो सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) के साथ काम कर रही है।

इस सफाई के बाद स्पष्ट है कि जिस रिपोर्ट के सहारे भारत में पैनिक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है वो रिपोर्ट जॉन्स हॉपिकंस यूनिवर्सिटी की नहीं है, बल्कि इस यूनिवर्सिटी के लोगो का इस्तेमाल किया गया है।