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डरें नहीं, स्टडी में चल गया पता, इतने महीने में खुद रिपेयर हो जाएंगे कोरोना से क्षतिग्रस्त हुए फेफड़े

ट्रायल(Trial) के दौरान कोरोना(Corona) से बीमार होने वाले करीब आधे मरीजों में रिकवर होने के 12 हफ्ते बाद फेफड़े क्षतिग्रस्त नहीं मिले। यह इस तरह की पहली स्टडी है जिसमें कोरोना मरीजों के फेफड़े ठीक होने की बात कही गई है।

नई दिल्ली। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना(Corona) की चपेट में आने वाले इंसान को शारीरिक रूप से क्षति पहुंच रही है। इसके शिकार हुए कुछ मरीजों के फेफड़ों को नुकसान पहुंच रहा है। डॉक्टरों(Doctors) ने इस बात को लेकर डर जताया था कि कोरोना के गंभीर मरीजों को क्षतिग्रस्त फेफड़ों के साथ ही लंबे वक्त तक रहना पड़ सकता है लेकिन अब इसको लेकर हुए एक नई स्टडी में एक राहत की खबर सामने आई है।

corona virus

ब्रिटिश टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब तीन महीने में कोरोना मरीज के फेफड़े खुद की मरम्मत कर सकते हैं। इस स्टडी के बाद उम्मीद पैदा हुई है कि कोरोना के गंभीर मरीजों को कई तरह की तकलीफों के साथ लंबे वक्त तक नहीं जीना होगा।

ट्रायल के दौरान कोरोना से बीमार होने वाले करीब आधे मरीजों में रिकवर होने के 12 हफ्ते बाद फेफड़े क्षतिग्रस्त नहीं मिले। यह इस तरह की पहली स्टडी है जिसमें कोरोना मरीजों के फेफड़े ठीक होने की बात कही गई है। हालांकि, कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले कई डॉक्टरों का कहना है कि रिकवर होने के कई हफ्ते बाद भी मरीजों में बीमारी के साइड इफेक्ट देखे जा सकते हैं।

Coronavirus china

स्टडी के दौरान ऑस्ट्रिया में 86 मरीजों की जांच की गई। ये मरीज 29 अप्रैल से 9 जून के बीच हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के 6 और 12 हफ्ते बाद इन मरीजों की जांच की गई। रिकवरी के 6ठे हफ्ते में 88 फीसदी मरीजों के फेफड़े में नुकसान के सबूत मिले। लेकिन 12वें हफ्ते में ये आंकड़ा घटकर 56 फीसदी हो गया।

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स्टडी में शामिल लोगों की औसत उम्र 61 साल थी और कुल 65 फीसदी पुरुष थे। कुल मरीजों में करीब आधे पूर्व में स्मोकर रह चुके थे। वहीं, 20 फीसदी मरीज ऐसे थे जिन्हें कोरोना की वजह से आईसीयू में भर्ती होना पड़ा था।।