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लेखक अनंत विजय का एक और धमाका, ‘अमेठी संग्राम- ऐतिहासिक जीत, अनकही दास्तां’ बाजार में उपलब्ध

अनंत विजय (Anant Vijay) की किताब ‘अमेठी संग्राम- ऐतिहासिक जीत, अनकही दास्तां’ (Amethi Sangram) कुछ ऐसी ही पृष्ठभूमि पर लिखी गई है। विजय ने इस किताब के बारे में जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो जारी कर दी। इस वीडियो में लेखक ने किताब के बारे में बहुत कुछ बताया।

नई दिल्ली। अनंत विजय पत्रकारिता और साहित्य जगत में एक ऐसा नाम जो किसी पहचान के मोहताज नहीं है। हाल ही में अनंत विजय की एक किताब ‘मार्क्सवाद का अर्धसत्य’ ने खूब सुर्खियां बटोरी। अब अनंत विजय की एक और किताब बाजार में आ गई है लेकिन यह पहली वाली किताब से बिल्कुल अलग यूपी के एक एक ऐसे संसदीय क्षेत्र को केंद्र में रखकर लिखी गई है जो स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे हॉट सीट मानी जाती है। इस सीट ने पूरे देश का राजनीति को अपने कंधे पर रखकर जैसे चाहा वैसे घूमाया। आजादी के ठीक 20 साल बाद इस लोकसभा सीट ने चर्चा में अपनी जगह बनाई और 2019 के लोकसभा चुनाव में तो इस सीट के नतीजे ने चर्चा में रहने के पुराने सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए। जी हां, यूपी की अमेठी सीट, 1967 के बाद से अमेठी लगभग लगातार नेहरू-गांधी परिवार के हाथ में रहा। फिर 2019 में यह कांग्रेस के हाथ से फिसलकर यह सीट भाजपा के हाथों में चली गई।

Amethi Sangram Anant Vijay1

आप चाहें तो Amazon पर अनंत विजय की इस किताब की बुकिंग कर सकते हैं।

अनंत विजय की किताब ‘अमेठी संग्राम- ऐतिहासिक जीत, अनकही दास्तां’ कुछ ऐसी ही पृष्ठभूमि पर लिखी गई है। विजय ने इस किताब के बारे में जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो जारी कर दी। इस वीडियो में लेखक ने किताब के बारे में बहुत कुछ बताया। लेखक ने बताया की ‘अमेठी संग्राम- ऐतिहासिक जीत, अनकही दास्तां’ को 2019 में अमेठी में स्मृति ईरानी की जीत को केंद्र में रखकर लिखी गई है। लेकिन इस किताब में केवल इतना ही नहीं है बल्कि किताब में संजय गांधी के अमेठी पहुंचने से लेकर 2019 में स्मृति ईरानी के जीत तक की कई रोचक बातें हैं। इस किताब में आपको स्मृति ईरानी की जीत की पूरी कहानी 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से लेकर 2019 तक के संघर्ष और फिर एक ऐतिहासिक जीत तक कैसी थी पढ़ने को मिल जाएगी।


मतलब इस किताब में आपको इस बात के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी कि किस तरह कांग्रेस की मुट्ठी से फिसलकर बीजेपी का हो गया अमेठी। दशकों तक राजनीति के केंद्र में कहें या यहां से होती केंद्र की राजनीति कहें फिर भी अमेठी क्यों अविकसित और पिछड़ी रही और इस अमेठी को कांग्रेस की चंगुल से निकालकर स्मृति ईरानी ने कैसे इसके भाग्य को बदलने और नई दिशा एवं दशा देने की शुरुआत की इसका सबसे सजीव चित्रण अनंत विजय ने अपने कलम के माध्यम से पन्नों पर शब्दों के जरिए किया है।


‘अमेठी संग्राम’ स्मृति ईरानी के साहस का वह दस्तावेज है जिसमें बताया गया है कि कैसे कांग्रेस के इस अभेद किले को इस मर्दानी ने ढहा दिया। स्मृति ईरानी को केवल लोग अक कलाकार के बारे में देख रहे थे लेकिन वह कितनी समर्पित और मेहनती नेता हैं इसका प्रमाण अमेठी में उनकी जीत है। 2014 में चुनाव हारने के बाद भी स्मृति ईरानी वहां पूरे दमखम से जमी रहीं। जनता के बीच रह कर पूरे पांच साल तक काम किया। पराजय के बावजूद उन्होंने अमेठी को ही कर्मस्थली माना। फिर भी किसी ने सोचा नहीं था कि राजनीति की नौसिखिया स्मृति ईरानी, राहुल गांधी को हरा देंगी? लेकिन 2019 में ये चमत्कार हुआ। अमेठी में स्मृति ने राहुल गांधी को ऐसे हराया जैसे 1977 में राजनारायण ने इंदिरा गांधी को हराया था।

Smriti Irani

अमेठी के राजनीतिक इतिहास में कई रोचक मुकाबले भी देखे गए हैं। 1981 में उपचुनाव के बाद 1984 में हुए आम चुनाव का मुकाबला गांधी परिवार के बेटे राजीव गांधी और बहू मेनका गांधी (संजय गांधी की पत्नी) के बीच हुआ था। इस चुनाव में राजीव गांधी बहुत बड़े अंतर से जीते। उन्हें लगभग 3 लाख 65 हजार मत मिले और संजय गांधी विचार मंच के बैनर तले निर्दलीय किस्मत आजमाने वाली मेनका को 50 हजार वोट ही मिले। 1989 का चुनाव भी काफी रोचक रहा। इस चुनाव में देश की दो जानी-मानी हस्तियों जवाहरलाल नेहरू के पौत्र राजीव गांधी और महात्मा गांधी के पौत्र राज मोहन गांधी आमने-सामने थे। तीसरा कोण बीएसपी के संस्थापक कांशीराम बना रहे थे। रोचक मुकाबले में अमेठी राजीव गांधी के ही साथ रही। अमेठी में अब तक हुए आम चुनाव और दो उपचुनाव में कांग्रेस का ही परचम लहराता रहा।