नई दिल्ली। ‘प्रज्ञानम् इंडिका’ फोरम 8-9 अगस्त को अंतरानुशासनिकता शोध पर दो दिवसीय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी आयोजन करेगा। भारतीय शिक्षा, साहित्य एवं संस्कृति को समर्पित फोरम ‘प्रज्ञानम् इंडिका’ 8- 9 अगस्त, 2020 को ‘साहित्य और अंतरानुशासनिकता: शोध की भावी दिशाएं’ विषय पर नेशनल सेमिनार का आयोजन करने जा रहा है।
इस नेशनल सेमिनार में दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, जामिया, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय आदि के छात्र सहभागिता करेंगे। दो दिवसीय इस संगोष्ठी में साहित्यिक शोध और अंतरानुशासनिकता पर दर्शन क्षेत्र से महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ल, राजनीति विज्ञान विषय से डीयू के आर्यभट्ट कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मनोज सिन्हा, समाजशास्त्र से प्रो. माधव गोविंद, प्रबंधन अध्ययन से प्रो. सुनीता सिंह सेनगुप्ता, मनोविज्ञान से प्रो. आनंद प्रकाश और इतिहास से डॉ. बीरेंद्र नाथ सिंह जैसे विषय के गणमान्य और आधिकारिक विद्वान अपनी बात रखेंगे।
वर्तमान समय में शिक्षा और शोध के लगातार बदल रहे स्वरूप एवं भविष्य में उनकी आवश्यकताओं को बारीकी से समझने की जरूरत है जिससे देश में हो रहे शोध को विश्वस्तरीय बनाया जा सके। संगोष्ठी के संयोजक और दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रो. निरंजन कुमार ने कहा कि देश के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा और अनुसंधान में भी समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। इसीलिए हालिया घोषित नई शिक्षा नीति में अंतरानुशासनिकता पर विशेष जोर दिया गया है।