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Cuttputlli Movie Review: Akshay Kumar लाए फिर से वही घिसी-पिटी कहानी, Thriller का कहीं भी नहीं है नाम-ओं-निशान

Cuttputlli Movie Review: Akshay Kumar लाए फिर से वही घिसी-पिटी कहानी, Thriller का कहीं भी नहीं है नाम-ओं-निशान फिल्म दक्षिण भाषा की फिल्म रतसाशन का रीमेक है। यहां हम आपको बताएंगे आखिर कैसे है अक्षय कुमार की नई फिल्म कटपुतली।

नई दिल्ली। अक्षय कुमार हर महीने एक फिल्म लेकर आ ही जाते हैं। इस बार वो अपनी फिल्म को सिनेमाघर में नहीं बल्कि ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज़ कर रहे हैं। फिल्म का नाम है कटपुतली। फिल्म में अक्षय कुमार के साथ रकुल प्रीत सिंह भी मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म एक सस्पेंस थ्रिलर शैली की कहानी है। जिसमें अक्षय कुमार एक पुलिस अफसर का रोल निभा रहे हैं। अक्षय कुमार ने पिछली फिल्म रक्षाबंधन में काम किया था जो बुरी तरह से फ्लॉप हुई थी। इससे पहले भी अक्षय कुमार की फिल्म ज्यादा कुछ अच्छा कर नहीं सकीं थी। एक बार अक्षय कुमार एक नई फिल्म को ओटीटी पर रिलीज़ कर रहे हैं। फिल्म को लेकर दर्शकों में उत्साह उतना नहीं था। कुछ लोगों ने अक्षय कुमार को इसलिए भी कोसा की उन्होंने इस फिल्म को सिनेमाघर में रिलीज़ न करके ओटीटी पर रिलीज़ किया। फिल्म दक्षिण भाषा की फिल्म रतसाशन का रीमेक है। यहां हम आपको बताएंगे आखिर कैसे है अक्षय कुमार की नई फिल्म कटपुतली।

क्या है कहानी

फिल्म में अर्जुन सेठी जिसका किरदार अक्षय कुमार ने निभाया है। अर्जुन सेठी के पिताजी मर गए हैं। अर्जुन सेठी अपने पिता की नौकरी पर पुलिस अफसर बन सकते हैं। लेकिन वो एक खास प्रकार की सस्पेंस थ्रिलर बनाने में दिलचस्पी रखते हैं। वो क्रिमिनल साइकोलॉजी पर काफी रिसर्च करते हैं। उसी पर आधारित वो एक फिल्म बनाना चाहते हैं लेकिन कोई भी उनकी इस स्क्रिप्ट को बनाना नहीं चाहता है। इसके बाद वो पुलिस ज्वाइन कर लेते हैं। वो अपने दीदी और जीजा के साथ आकर कसौली में रहने लगते हैं। उनके जीजा और अर्जुन सेठी एक ही डिपार्टमेंट में एक साथ पुलिस की नौकरी करते हैं। अब इसी बीच पूरे शहर में हत्याएं होने लग जाती हैं। एक हत्या एक दिन में होती है और सभी हत्याओं को एक ही तरह से अंजाम दिया गया होता है। पुलिस इसमें कुछ ख़ास नहीं कर पाती है। अब अर्जुन सेठी ये तय करते हैं की वो उस मर्डरर को पकड़ेंगे। अब वो पकड़ पाते हैं या नहीं और कैसे पकड़ते हैं इसी के बीच की कहानी है।

कैसी है कहानी

यह एक सामान्य कहानी है। कहानी में कुछ भी नया नहीं है। स्क्रीनप्ले ठीक है पर बहुत धीरे भी है इसके साथ ही साथ कुछ नया कुछ आश्चर्यचकित करने वाला नहीं है। कुछ ऐसा भी नहीं है जिसे देखकर लोग डर जाएं। थ्रिलर कहानी में लोगों को थ्रिल रखना जरूरी होता है। लेकिन इस फिल्म में उसकी कमी लगती है। फिल्म में ह्यूमर यानी हास्य को दिखाने की कोशिश की गई है। लेकिन स्क्रीन पर वो हास्य उतरता नहीं है। फिल्म की कहानी से वो डर महसूस नहीं होता है। कहानी बहुत सामान्य तरीके से जाकर खत्म हो जाती है। अक्षय कुमार का काम हमेशा वाला है। जैसे वो हमेशा आते हैं और कलाकारी करके चले जाते हैं वैसी ही इस फिल्म में भी है उनकी तरफ से भी कुछ नया कुछ अलग देखने को नहीं मिलता है। इसके अलावा अन्य कलाकार की भूमिका भी बहुत सामान्य है। डायरेक्शन में भी ऐसा कुछ ख़ास नहीं है जो थ्रिलर फिल्मों में होना आवश्यक होता है। कुल मिलाकर ये एक बेहद औसत दर्ज़े की फिल्म है। इस फिल्म को हमारी तरफ से मिलते हैं ढाई सितारे।