Drishyam 2 Review: दृश्यम 2 देखते वक़्त आप “अक्ल के घोड़े दौड़ाएंगे” लेकिन अजय देवगन नए ट्वीस्ट-टर्न रखकर आपसे खेल जाएंगे, दृश्यम 2 रिव्यू

Drishyam 2 Review: इस बार विजय सलगांवकर पकड़ लिया गया है। इंस्पेक्टर जनरल तरुण अहलावत ने झूठ का पर्दाफ़ाश कर दिया है। सच का पता लग गया है। कैसे ? फिल्म देखिए।

Avatar Written by: November 18, 2022 10:01 am

नई दिल्ली। विजय सलगांवकर, गायतोंडे, मीरा देशमुख, अनु, मिराज सिनेमा, मार्टिन कैंटीन वाला, सैम ये सब याद हैं ? नहीं ? अच्छा, वो कहानी याद है-जिसमें विजय की बेटी से, इंस्पेक्टर जनरल मीरा देशमुख के बेटे सैम का मर्डर हो जाता है। पुलिस छानबीन करती है कि आई जी के बेटे का मर्डर किसने, क्यों और कैसे किया लेकिन विजय चालाकी से खुद को और खुद के परिवार को बचा लेता है| पुलिस हार जाती है और विजय की जीत होती है। हां वही कहानी, जिसमें गायतोंडे नाम का पुलिसवाला जालिम होता है, विजय को तो मारता है और उसकी पत्नी और बच्ची पर भी हाथ उठाता है।

याद आ गया। 7 साल बाद वही सैम मर्डर केस रीओपन हुआ है। एक नया आई जी जनरल आया है जिसने सारे राज खोल दिए हैं, और विजय ने भी जुल्म कबूल लिया है। विजय का पर्दाफाश हो गया है और अब विजय को अदालत में पेश किया जाना है। तो क्या शातिर विजय ने इतनी आसानी से सबके सामने घुटने टेंक दिए और सात साल बाद विजय ने जुल्म कबूल लिया ? असल कहानी क्या है और अदालत में पेश होने के बाद अब विजय और उसके परिवार का क्या होगा ? क्या विजय जेल जाएगा। लेकिन अगर विजय जेल गया, फिर तो कहानी में सैडनेस आ जाएगी ? ये सब सोचकर दिमाग का पारा मत चढ़ाइए और देखकर आइए, जबरदस्त सस्पेंस, ट्वीस्ट एंड टर्न, और थ्रिल से भरी हुई कहानी “दृश्यम 2”. मैंने देख ली है और हमेशा की तरह आपको बताएंगे, कैसी है फिल्म।

किरदार की भूमिका

विजय सलगांवकर ने अपना कारोबार बढ़ा लिया है। पहले केबल हाउस के मालिक थे अब खुद का सिनेमाघर खोल लिया है। उनका वही पुराना परिवार है। वही मेराज सिनेमा है। वही मार्टिन की कैंटीन है। हां अक्षय खन्ना के रूप में इंस्पेक्टर जनरल तरुण अहलावत का किरदार नया है, बाकी किरदार लगभग वही पुराने हैं।

क्या है कहानी

कहानी की शुरुआत एक एक्शन सीन से होती है। जिसके बाद हम देखते हैं कि सैम के मर्डर को 7 साल हो गए हैं। क्योंकि पुलिस, विजय और उसके परिवार के खिलाफ, कोई भी सबूत ढूंढ नहीं सकी इसलिए विजय और उसका परिवार खुलेआम जिंदगी जी रहे हैं, हालांकि विजय की पत्नी और उसकी बड़ी बेटी अभी भी अतीत को याद कर कांप जाते हैं। एक बदलाव हुआ है पहले जो आसपड़ोस के लोग विजय को निर्दोष मानते थे अब वो लोग भी विजय और उसके परिवार पर तरह-तरह के इलज़ाम लगाने लगे हैं। विजय के पड़ोसी बनकर, एक युवा दम्पति रहने लगे हैं।

इंस्पेक्टर तरुण अहलावत की एंट्री होती है और 7 साल बाद फिर से विजय के केस की फ़ाइल खुलती है। फिर से सैम की बॉडी को ढूंढने कोशिश होती है। पुलिस के हाथ, हताशा लगती है लेकिन इस बार 5 लाख के इनाम के चक्कर में विजय की सारी पोल खुल जाती है। विजय का दफन राज, आई जी तरुण अहलावत हड्डियों समेत खोदकर निकाल लेता है और विजय को अपना जुल्म कबूल करना पड़ता है। लेकिन क्या विजय को सजा सुनाई जाएगी ? क्योंकि मैंने ऊपर लिखा है अगर हीरो जेल गया तो कहानी सैडनेस से भर जाएगी ? तो फिर क्या होगा,  ये जानने के लिए आपको फिल्म देखना होगा।

कैसी है कहानी

कहानी जबरदस्त है बाकी लूपहोल्स ढूंढने वाले तो, भगवान में भी लूपहोल ढूंढ लेते हैं। अगर आपको सस्पेंस और थ्रिलर फिल्में पसंद हैं, आप उनके दीवाने हैं तो इस फिल्म को मिस मत करिएगा देख डालिएगा। पसंद आएगी। मजा आएगा।

शुरुआत में पहली वाली दृश्यम फिल्म की तरह कहानी कुछ धीमी होती है लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म ऐसी रफ्तार पकड़ती है कि आपको आसपास कुछ दिखता नहीं है और आप कहानी के साथ बह जाते हैं। आपको शुरुआत में फिल्म अपने साथ लेकर चलती है और छोटे-छोटे से सस्पेंस और थ्रिलर देती है, लेकिन जैसे ही फिल्म में विजय सलगांवकर का राज खुलता है, उसके बाद फिल्म एक अलग ही मोड़ ले लेती है।

इस मोड़ के बाद आप फिल्म के क्लाइमैक्स को जानने के लिए उत्साहित हो जाएंगे, आप ताली बजाने पर मजबूर हो जाएंगे।

एक बार फिर विजय ने दिखा दिया है कि चौथी फेल का दिमाग कितनी तेज़ी से दौड़ सकता है। इस बार आप विजय की चलाकी पर आप और जोर से ताली बजाएगे। यक़ीन मानिए फिल्म का क्लाइमैक्स शानदार है जिसे आपको देखना चाहिए।

एक्टिंग की बात करें तो सभी ने वैसे ही अच्छा काम किया है, जैसे दृश्यम में किया था और अक्षय खन्ना ने जो एक्स्प्रेशन दिए हैं वो भी मजेदार हैं।

इस फिल्म की कहानी दर्शकों से खेलती है और जैसे दृश्यम में दर्शक जानने के लिए उत्सुक रहते थे कि आखिर विजय अपने परिवार को बचा पाएगा या नहीं, इस बार वो उत्सुकता और भी बढ़ जाती है।

अगर पटकथा की बात करें तो, अच्छी लिखी है। सस्पेंस और थ्रिल को भी ढंग से परोसा है। लूपहोल्स भी बचकाने नहीं हैं और जो आप सोच रहे होते हैं कहानी उससे कहीं अलग जाकर खड़ी होती है और वो आपको अखरता भी नहीं है।

संवादों की बात करें तो संवाद अच्छे हैं। हालांकि संवाद के मामले में पटकथा थोड़ी सी कमजोर भी पड़ती है। लेकिन कुछ जगह संवाद अच्छे भी हैं।

डायरेक्शन और फिल्म का बैकग्राउंड म्यूसिक कमाल का है जिससे फिल्म का वजन और बढ़ जाता है। इसके अलावा सेट डिज़ाइनिंग कॉस्ट्यूम डिज़ाइनिंग भी ढंग से की गई है।

फिल्म में कुल 2 सांग है जिसमें फिल्म के बीच में एक गाना है और एक गाना फिल्म के अंत में । फिल्म के अंत में आने वाला गाना आपको सीट से उठने नहीं देता है और पहले वाला गाना ओके ओके है।

ओवरआल अगर आप एक अच्छी सस्पेंस थ्रिलर फिल्म देखना चाहते हैं। जिसमें असल में कहानी हो, कहानी में रहस्य हो, ट्विस्ट और टर्न हों, कहानी ऐसी हो जो सीट से उठा दे, जो ताली बजाने पर मजबूर कर दे, तब आप दृश्यम 2 को जल्द से जल्द देख डालिए। अगर आपको कोई नई कहानी देखनी हो, तब आप दृश्यम 2 देख डालिए। अगर आप उन व्यक्तियों में से हैं जो अच्छी फिल्मों की लिस्ट बनाकर रखते हैं तो भी दृश्यम 2 को देख डालिए। इसके अलावा अगर आप अजय देवगन को नापसंद करते हैं तब तो जरूर फिल्म को देख लीजिए क्योंकि अगले कुछ दिनों तक सिनेमाघर हाउसफुल रहने वाले हैं।

दृश्यम 2 फिल्म से कुछ संवाद

हर इंसान में तीन दुनिया होती है एक उसके अंदर, दूसरी उसके बाहर और एक उसके अंदर और बाहर के कहीं बीच में, मेरी वो दुनिया मेरा परिवार है जिसके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं।

सच पेड़ के बीज की तरह होता है जितना चाहे दफना लो एक दिन बाहर आ ही जाता है।

सवाल ये नहीं कि आपकी आंखो के सामने क्या है सवाल ये है कि आप देख क्या रहे हो