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Shabaash Mithu review: जानिये क्या तापसी पन्नू ने मिताली राज के रोल में उड़ाया होश या फिर किया दर्शकों को बेहोश

Shabaash Mithu review: जानिये क्या तापसी पन्नू ने मिथाली राज के रोल में उड़ाया होश या फिर किया दर्शकों को बेहोश कुल मिलाकर फिल्म खराब पटकथा, एक्टिंग, डायरेक्शन, एडिटिंग और वीएफएक्स का मेल है।

नई दिल्ली। जिस तरह से पुरुष क्रिकेट टीम के खिलाडियों के नाम हमारी जुबां पर रटे रहते हैं, एक्ट्रेस के नाम हमेशा जुबां पर रहते हैं वैसे ही महिला क्रिकेट का नाम भी हमें याद रहना चाहिए। हो सकता है सभी को नहीं पर जो लोग क्रिकेट देखते हैं, क्रिकेट के फैन हैं उन्हें मिताली राज का नाम तो याद ही होगा। मिताली राज, क्रिकेट की दुनिया का वो सितारा, जिसने अपने नाम कई रिकॉर्ड किये और अपनी परफॉर्मेंस के कारण, भारतीय महिला क्रिकेट टीम को, विश्व में एक नवीन पहचान दिलाई। सिर्फ मिताली ही नही, कई अन्य महिला क्रिकेटर्स चाहे वो स्मृति मंधाना हों, झूलन गोस्वामी हों और हरमनप्रीत कौर या कोई अन्य महिला क्रिकेटर हो, सभी के परस्पर सहयोग से आज भारतीय महिला टीम कई रिकॉर्ड अपने नाम करते आयी है और महिला क्रिकेट को विश्व में एक पहचान मिली है। आज से कुछ वर्ष पहले मिताली राज के अब तक के जीवन पर, फिल्म बनने का एलान हुआ और वही फिल्म आज सिनेमाघर में रिलीज़ हो गयी है जिसका नाम है शाबाश मिठू , अब यह फिल्म शाबाशी देने लायक है या नहीं जानते हैं। इस फिल्म में मिताली राज की भूमिका को तापसी पन्नू ने निभाया है।

क्या है कहानी

कहानी पूरी तरह से मिताली राज के जीवन पर आधारित है कि कैसे एक लड़की होने के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा और उन्होंने सभी सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए अपने एम्बिशन को प्राथमिकता दी और उसमें सफलता भी पाई। कहानी मिताली राज के बचपन से शुरू होती है और उन्हें मुश्किलों से लड़ते हुए दिखाती हुई उनकी सफलता पर खत्म होती है। फिल्म में दिखाया है कि कैसे मिताली ने बचपन में उस फील्ड में करियर बनाने की कोशिश किया जिस फील्ड (मैदान) पर ज्यादातर लड़के मौजूद होते हैं और लड़कियां कम। आप भी जानते होंगे आज से कुछ समय पहले लड़कियों को क्रिकेट खेलने के लिए उतनी छूट नहीं दी जाती थी जितनी लड़कों को होती थी हालांकि ये भी सच है कि रोका तो खेलने से लड़कों को भी जाता था पर लड़कियों पर समाज की कुछ ज्यादा ही बंदिश लगी रहती थी। उन बदिंशों को तोड़ते हुए, लड़कों से भरे हुए क्रिकेट मैदान में, मिताली ने अकेले खड़े रहकर लड़कियों का प्रतिनिधित्व किया। समय बदला और जब उन्हें भारतीय टीम का नेतृत्व करने का अवसर मिला तो वहां भी उन्हें उन बेसिक्स (आधारभूत) से अभावों का सामना करना पड़ा, जो पुरुष क्रिकेट टीम को बेहद आसानी से मिल जाती थी। लेकिन फिर भी मिताली ने विपरीत परिस्थिति में सकारात्मक सोच के साथ हर सम्भव जीतने का प्रयास किया। उनकी कड़ी मेहनत और लगन रंग लाइ और सफलता उनके क़दमों में आकर नतमस्तक हो गयी।

कैसी है फिल्म (फिल्म रिव्यू )

फिल्म की कहानी के बारे में क्या कहें। आपको याद होगा, 2016 में नीरज पांडेय के निर्देशन में, सुशांत सिंह राजपूत अभिनयकृत, एम. एस. धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी फिल्म आई थी। फिल्म ने ऐसा जादू किया कि बॉक्स ऑफिस और लोगों के दिल में फिल्म बस गयी। आज भी लोगों को उस फिल्म के इंस्पिरेशनल और इमोशनल दृश्य याद होंगे। ये फिल्म वहीं चूक जाती है न ही फिल्म प्रेरित करती है और न भावुक करती है। मिताली राज का एक अलग ऑरा (भौकाल) है उनकी कहानी लड़कियों के लिए प्रेरणा है लेकिन जब फिल्म से वही मुख्य बिंदु जो की प्रेरणादायक है वो गायब हो, तो फिर धीरे- धीरे फिल्म के सारे माले धड़ाम से गिरने लगते हैं, ऐसा ही कुछ इस फिल्म के साथ हुआ जहां शुरुआत के पार्ट्स में मिताली राज का रोल चाइल्ड आर्टिस्ट ने बेहतरीन तरीके से निभाया वहीं फिर बढ़ते-बढ़ते फिल्म आउट ऑफ़ फोकस हो जाती है। ये फिल्म प्रेरित तो नहीं करती लेकिन भारत में महिलाओं की स्वयं की पहचान नहीं है ये दिखाने पर ज्यादा केंद्रित रहती है। जहां बायोपिक ज्यादातर ये फोकस करती हैं कि वो प्रेम और सौहार्द को दिखा सकें वहीं ये फिल्म कटुता और जलन की दुर्गन्ध देकर जाती है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और किरदार का निर्माण भी अच्छा नहीं है। तापसी पन्नू , मिताली राज के किरदार में मिताली राज न लगकर तापसी पन्नू ही लगती हैं यानी उनकी एक्टिंग में कोई भी नयापन देखने को नहीं मिलता है, भूतपूर्व एक्सप्रेशन ही देखने को मिलते हैं। फिल्म का लेखन इतना कमजोर है, कि एक भी संवाद आपके जेहन में नहीं उतरता है। फिल्म का डायरेक्शन और एडिटिंग इतनी फास्ट है कि आप एक भी क्रिकेटिंग शॉट का अनुभव नहीं ले पाते हैं। इसके अलावा फिल्म के टेक्निकल डिपार्टमेंट में वीएफएक्स ने बेहद गंदा काम किया है। कुल मिलाकर फिल्म खराब पटकथा, एक्टिंग, डायरेक्शन, एडिटिंग और वीएफएक्स का मेल है। मिताली राज के जीवन पर आधारित फिल्म को देखने के लिए जहां दर्शकों की भीड़ सिनेमाघर के बाहर होनी चाहिए वहीं इस फिल्म को पहले दिन के शो में खास ओपनिंग नहीं मिली है और फिल्म को देखते हुए लगता है आगे भी ये फिल्म कुछ आउट ऑफ़ द बॉक्स नहीं करेगी।

फिल्म का डायरेक्शन श्रीजीत मुखर्जी ने किया है। फिल्म का स्क्रीनप्ले प्रिया एवेन ने लिखा है और फिल्म में काम तापसी पन्नू और उनके साथ विजय राज, मुमताज सोरकार और बृजेन्द्र काला ने किया है। इन सहकलाकारों का काम ज्यादा नहीं है पर जितना भी है अपनी छाप छोड़कर जाता है।