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Prithviraj Trailer Out: जानिए क्यों हमेशा धर्म के लिए जीने वाले पृथ्वीराज चौहान ने एक दोहे की वजह से ले ली किसी की जान

Prithviraj Trailer Out: पृथ्वीराज चौहान की वीरता की कई कहानियां लोगों के बीच मशहूर है। पहले भी पृथ्वीराज के ऊपर छोटे पर्दे पर कई सीरिअल्स दिखाए जा चुके हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब भारत के इस वीर योद्धा की कहानी को बड़े पर्दे पर उतारा जा रहा है।

नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की मोस्ट अवेटेड मूवी ‘पृथ्वीराज’ का ट्रेलर फाइनली लॉन्च हो गया है। अक्षय कुमार के फैंस को उनकी इस मूवी के ट्रेलर का लम्बे समय से इंतज़ार था जो आख़िरकार अब ख़त्म हो गया है। आपको बता दें की इस फिल्म में अक्षय के साथ एक्टर सोनू सूद भी दिखाई देंगे। तो वहीं मिस वर्ल्ड 2017 रह चुकीं मानुषी छिल्लर इस फिल्म से अपना बॉलीवुड डेब्यू करने जा रही हैं। अक्षय की इस फिल्म का ट्रेलर दर्शकों को खूब पसंद आ रहा है। अक्षय और मानुषी की ये फिल्म 3 जून को बड़े पर्दे पर रिलीज होने जा रही है। ऐसे में फिल्म की रिलीजिंग से पहले हम आपको बताने जा रहे हैं दिल्ली के अंतिम हिन्दू शासक पृथ्वीराज चौहान की 816 साल पुरानी विजयगाथा के बारे में …

हमेशा धर्म के लिए जीते थे पृथ्वीराज चौहान

दिल्ली के अंतिम हिन्दू सम्राट कहे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान का जन्म अजमेर के राजा सोमेश्वर सिंह के घर साल 1166 में हुआ था। पृथ्वीराज चौहान की मां दिल्ली के राजा अनंगपाल द्वितीय की इकलौती बेटी थीं। पृथ्वीराज चौहान की वीरता की कई कहानियां लोगों के बीच मशहूर है। पहले भी पृथ्वीराज के ऊपर छोटे पर्दे पर कई सीरियल दिखाए जा चुके हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब भारत के इस वीर योद्धा की कहानी को बड़े पर्दे पर उतारा जा रहा है। इस फिल्म में लेखकों के द्वारा कई दमदार डायलॉग्स लिखे गए हैं। मसलन, आप फिल्म के ट्रेलर में भी देख सकते हैं कि अक्षय कुमार कहते नजर आ रहे है ‘धर्म के लिए जिया हूं, धर्म के लिए मरूंगा।’

कुछ ऐसी थी पृथ्वीराज चौहान के संघर्ष की कहानी

पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच संघर्ष से हर कोई वाकिफ है। जब आप मध्यकालीन भारतीय इतिहास के पन्नों को पलटते हैं तो आपको इनके संघर्ष का जिक्र दिखता है। गौरी का मकसद दिल्ली पर कब्ज़ा कर पूरे हिन्दुस्तान पर राज करना था, इसलिए उसने दिल्ली के तत्कालीन सम्राट पृथ्वीराज चौहान से 1186 से 1191 के बीच कई युद्ध किए जिसमें गौरी को मुंह की खानी पड़ी थी। लेकिन इतिहास में आपको दो ऐसी लड़ाइयों का जिक्र भी मिलता है जिसने दिल्ली का भाग्य पूरी तरह से बदलकर रख दिया और पृथ्वीराज चौहान का नाम भारतीय इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गया था। जी हां, ये लड़ाई थी 1191 और 1192 में हुई तराईन की लड़ाई। 1191 की लड़ाई में जहां गौरी पृथ्वीराज चौहान से हार गया। तो वहीं 1192 में गोरी ने चौहान को हराकर उन्हें अपना बंदी बना लिया और गर्म लोहे के सरिये से पृथ्वीराज चौहान की आंखे निकाल ली थी।

ऐसे मारा था चौहान ने गोरी को

पृथ्वीराज चौहान के जीवन में उनके दोस्त चन्दरबाई की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आपको बता दें की चन्दरबाई ने बाद में पृथ्वीराज चौहान के ऊपर ‘पृथ्वीराज रासो’ की रचना भी की थी। इतिहास की माने तो मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान के शब्दभेदी बाण विद्या का कौशल देखने के लिए चन्दरबाई ने ही राजी किया था। इसके बाद चन्दरबाई ने ही पृथ्वीराज चौहान को अपने एक दोहे से गोरी के स्थान का इशारा दिया, वो दोहा है ‘चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता उपर सुल्तान है मत चूके चौहान’। इसी के बाद पृथ्वीराज चौहान ने नेत्रहीन होने के बावजूद मोहम्मद गौरी को तीर चलाकर मार गिराया था।