नई दिल्ली। साल 2024 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ एकजुट होकर मोर्चा फतह करने की कोशिश में विपक्ष भले ही एक साथ होने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उनकी एकता अभी से टूटती नजर आ रही है। ताजा मामला शुक्रवार का है जब कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 19 पार्टियों के नेताओं की मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे अलग-अलग सुर में राग अलापने लगे। एक अंग्रेजी न्यूज चैनल ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि ममता और उद्धव के अलग-अलग सुर विपक्ष के सर्वमान्य नेता के मसले पर सोनिया की मीटिंग में सुनाई दिए। ममता का कहना था कि पहले विपक्ष एक हो जाए और नेता बाद में तय हो जाएगा। वहीं, उद्धव का कहना था कि जनता और कार्यकर्ताओं के लिए नेता का चेहरा होना जरूरी है। टीवी चैनल के अनुसार ममता अपनी बात पर अड़ी रहीं। उनके समर्थन में आरजेडी के तेजस्वी यादव भी थे। तेजस्वी भी कह रहे थे कि पहले एकता होनी जरूरी है। बाकी बातें बाद में तय होंगी।
वहीं, इस मसले पर शिवसेना के चीफ उद्धव ठाकरे ने कहा कि नेता जरूर पहले चुना जाना चाहिए। ताकि वह बीजेपी के खिलाफ अभियान की अगुवाई कर सके। ठाकरे का कहना था कि जनता जरूर ये जानना चाहेगी कि विपक्ष किसे उनके नेता के तौर पर पेश कर रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि विपक्षी खेमे में इसपर चर्चा होकर नाम भी तय होना चाहिए। बता दें कि सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने के लिए विपक्ष को एक करने के अभियान की शुरुआत की है। उन्होंने मीटिंग में कहा कि कांग्रेस हर हाल में 2024 में बीजेपी को रोकने के लिए बड़ा गठबंधन बनाना चाहती है।
सोनिया ने कहा कि अभी से हम लोगों को अच्छे से तैयारी करनी होगी और सटीक रणनीति बनानी होगी। उन्होंने कहा कि देश को अगली सरकार ऐसी देनी है, जो आजादी की लड़ाई के मूल्यों को समझती हो और नैतिक तौर पर संविधान के सिद्धांतों को मानती हो। उन्होंने माना कि विपक्ष के सामने चुनौती है, लेकिन साथ ही कहा कि एकसाथ आने के अलावा सभी के सामने और कोई रास्ता नहीं है। सोनिया के इस बयान के साथ ही विपक्ष की मीटिंग यह तय करती हुई खत्म हो गई कि आने वाले दिनों में इसी तरह की और मीटिंग की जाएंगी।