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Jaipur : आमेर के 20 हाथियों पर सवारी प्रतिबंधित, महावत हाईकोर्ट जाने को तैयार

Jaipur : जयपुर के आमेर क्षेत्र में हाथी की सवारी (Elephant Ride) कराने की इच्छा लेकर जाने वाले सैलानियों को मायूसी हाथ लग सकती है। दरअसल इलाके के 98 हाथियों में से 20 को अनफिट घोषित कर दिया गया है। यानि अब इन हाथियों को सैलानियों को घुमाने के लिए नहीं लगाया जा सकता।

जयपुर। जयपुर में हाथी पर सवारी (Elephant Ride) करने की इच्छा लेकर जाने वाले सैलानियों को मायूसी हाथ लग सकती है। दरअसल इलाके के 98 हाथियों में से 20 को अनफिट घोषित कर दिया गया है। यानि अब इन हाथियों को सैलानियों को घुमाने के लिए नहीं लगाया जा सकता, इनकी सवारी करने पर बैन लगा दिया गया है। ऐसे हाथियों को सवारी कराने के लिए उपयोग में लाना कानून का उल्लंघन माना जाएगा।

AMER FORT INDIAN ELEPHANT

दरअसल पिछले शुक्रवार को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) मंत्रालय द्वारा प्रोजेक्ट एलिफैंट के तहत बनाई गई कमेटी ने अपने सुझाव दिए हैं। इस कमेटी में पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA), इंडिया द्वारा कमेटी की सौंपी रिपोर्ट को लागू करने के अनुरोध के बाद राजस्थान वन विभाग ने पुरातत्व और संग्रहालय विभाग को आमेर के किले पर पर्यटन सवारी के लिए इस्तेमाल हो रहे 20 बीमार हाथियों को काम से हटाने का आदेश दिया है।

आपको बता दें कि आमेर फोर्ट में बड़ी तादाद में लोग हाथियों की सवारी का लुत्फ उठाने के लिए खास तौर पर आमेर आते हैं। लेकिन 20 हाथियों की सवारी पर बैन के आदेश के बाद इन बूढ़े और कुपोषित हाथियों पर सवारी करना मुश्किल हो गई है। कमेटी की रिपोर्ट में 20 में से 3 हाथियों को टीबी की बीमारी होना भी बताया गया है। इतना ही नहीं रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इनमें से कई हाथी दृष्टि रोग और पैरों के गंभीर रोगों से पीड़ित थे। बीमार हाथियों पर बैन लगाने के राजस्थान सरकार के फैसले पर PETA इंडिया ने राजस्थान सरकार का शुक्रिया अदा किया है।

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PETA इंडिया ने उम्मीद जताई है कि राजस्थान सरकार कमेटी के अन्य सभी सुझावों का पालन करते हुए पर्यटकों को शाही सवारी के अनुभव का अवसर प्रदान करेगी जिससे हाथियों को भी आराम मिलेगा और उन्हें ज़बरन सवारी कराने के लिए मज़बूर नहीं किया जाएगा।

क्या है कमेटी की रिपोर्ट में

प्रोजेक्ट एलिफैंट कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था की निरीक्षण किए गए 98 हाथियों में से 22 हाथी दृष्टि रोग से पीड़ित थे, यानि उन्हें देखने में परेशानी हो रही है। इतना ही नहीं 42 हाथी पैरों के गंभीर रोगों से पीड़ित हैं जिनमें बढ़े हुए नाखून, कटे-फटे तलवे और पथरीली सड़कों पर चलने के कारण पैरों में बन चुके जख्म शामिल हैं। इनमें से 29 हाथियों की उम्र 50 साल से ज्यादा थी। जो वहां के हाथियों की औसतन उम्र जितनी है। कमेटी ने जिन तीन हाथियों की जांच की वह तीनों टीबी से ग्रसित पाए गए।

हाथी मालिक हैं नाराज़

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कमेटी द्वारा 20 हाथियों को सवारी के लिए अनफिट बताने वाली रिपोर्ट देने पर हाथी मालिक काफिर नाराज़ हैं। वो कहते हैं कि जांच रिपोर्ट में कोई भी हाथी अनफिट नहीं था। जबकि फाइनल रिपोर्ट में कई हाथियों को अंधा और कई को टीबी बताया गया है। हाथी मालिकों ने वन विभाग के इस आदेश का विरोध किया है। हाथी मालिक मामले को हाइकोर्ट में चुनौती देने का ऐलान कर चुके हैं। हाथी विकास समिति का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यहां आये जांच दल की कमेटी ने गलत रिपोर्ट बनाई है। जांच दल में विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं थे बल्कि उसमें रिटायर चिकित्सकों को लिया गया था। उस दौरान जब जांच हुई थी तब जांच में सभी हाथी पूरी तरह से स्वस्थ थे, फिर अब अचानक फाइनल रिपोर्ट में कैसे हाथियों को अस्वस्थ बताया गया। इसके अलावा अभी एक महीने पहले ही खुद वन विभाग ने इन्हीं हाथियों का चेकअप किया था तब वन विभाग की रिपोर्ट में ये सभी हाथी स्वस्थ बताए गए थे। ऐसे में किस रिपोर्ट पर भरोसा किया जाए? कल हाथी मालिक मामले को राजस्थान हाइकोर्ट में चुनौती देंगे।