गुवाहाटी। असम में कुदरत का कहर जारी है। एक तरफ देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है वहीं असम में प्राकतिक आपदा ने लोगों की जान ले ली और कई के घर उजाड़ दिए। आलम ये है कि कोरोना संक्रमण के साथ अब कुदरत का कहर झेल रहे लोग राशन की कमी से जूझ रहे हैं इतना ही नहीं कई लोग राहत शिवरों में रह कर अपना गुजर बसर कर रहे हैं।
26 जिले भारी बारिश,भीषण बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में
असम के 33 में से 26 जिले भारी बारिश, भीषण बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में हैं। इससे अब तक यहां 105 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 27.64 लोग प्रभावित हैं। राहत शिविरों में करीब 18 हजार लोग हैं। डिब्रूगढ़ जिले के रोंगमोला गांव के श्यामल दास (39) दो दिन पहले राहत शिविर से घर लौटे हैं। बाढ़ के कारण बांस, टीन की छत से बना उनका घर लगभग पूरी तरह खराब हो गया है। पत्नी और दो बच्चों के साथ श्यामल घर तो लौट आए हैं, लेकिन अब रोजगार की चिंता सता रही है।
श्यामल ने कहा, ‘लॉकडाउन के बाद से ही कामधंधा चौपट हो गया था। अब बाढ़ ने जिंदगी तबाह कर दी। छोटी सी किराने की दुकान चलाकर परिवार का गुजारा कर रहा था। अब आगे के सारे रास्ते बंद हो गए हैं। खेत की जमीन पहले ही बाढ़ और भूकटाव में चली गई। छह दिन से हम सुहागी देवी स्कूल में बनाए गए अस्थायी शिविर में रह रहे थे। संक्रमण के खतरे के कारण घरों में बाढ़ का पानी कम होते ही लौट आए। हमेशा यह डर सताता था कि शिविर में कहीं कोरोना न फैल जाए।
तंबू बनाकर ऊंची जगहों पर रहने को मजबूर
कुछ बाढ़ पीड़ित लोग ऊंची जगह पर प्लास्टिक तिरपाल से तंबू बनाकर रह रहे थे, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे। हम 1998 से लगातार हर साल बाढ़ के समय राहत शिविरों में शरण लेते आ रहे हैं, लेकिन इतना डर कभी नहीं लगा।’ श्यामल के गांव से महज दो किमी दूर मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का पैतृक गांव मुलुक है। यहां भी बाढ़ ने तबाही मचाई है। यहां करीब 100 बाढ़ प्रभावित परिवारों ने स्थानीय बिष्णु राभा सभागार में शरण ली है।
12 लाख लोग बाढ़ की चपेट में
बरपेटा जिला उपायुक्त मुनींद्र शर्मा ने इसकी पुष्टि की है। वे कहते है, ‘हमारे जिले में करीब 739 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। करीब 12 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं। कुल 15 लोगों की जान गई है। भूटान 10 दिन से लगातार पानी छोड़ रहा है। अगर वह रोजाना 1000 से 1500 क्यूमेक्स पानी छोड़ेगा तो स्थिति और खराब होगी।’ उधर, बाढ़ के कारण काजीरंगा नेशनल पार्क में 96 जानवरों की मौत हो चुकी है।
पार्क के कुल 223 शिविरों में से 99 शिविर बाढ़ में डूब गए हैं। छह शिविर खाली कराने पड़े हैं। इधर, असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा कहते हैं, ‘जिला प्रशासन के अधिकारियों से कहा है कि वे राहत शिविरों में सोशल डिस्टेंसिंग की पूरी व्यवस्था कराएं। राहत शिविर बनाने के लिए पहले ही ऐसे स्थान चुने गए थे, जहां जरूरत होने पर क्वारेंटाइन सेंटर बनाया जा सके। पहले की तुलना में इस बार कोरोना के कारण बाढ़ की चुनौती बड़ी है।
इतनी बढ़ी संख्या में प्रभावित लोगों को कोरोना गाइडलाइन के तहत राहत शिविरों तक सुरक्षित लाना आसान नहीं हैं। फिर भी सावधानियां बरत रहे हैं।’ राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के स्टेट प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर पंकज चक्रवर्ती ने कहा कि कई इलाकों में बाढ़ का पानी कम हुआ है, लेकिन निचले असम में पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर है।’ ग्वालपाड़ा जिला उपायुक्त वर्नाली डेका कहती हैं, ‘शिविरों के प्रभारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे सोशल डिस्टेंसिंग के पालन की जानकारी देते रहें।’
सीएम सोनोवाल ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का किया दौरा
Morigaon: Assam Chief Minister Sarbananda Sonowal visits flood-affected areas of the district. CM Sonowal also handed over an ex-gratia of Rs 4 lakh to the next of kin of deceased. pic.twitter.com/Wn2dgmjd68
— ANI (@ANI) July 19, 2020
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। सीएम सोनोवाल ने मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि भी दी।