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विपक्ष के विरोध के बीच अकादमिक जगत ने किया NEET और JEE परीक्षा का समर्थन, PM को लिखी चिट्ठी

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जेईई(JEE) और नीट(NEET) जैसी परीक्षाएं कराये जाने को अनिवार्य बताया है। टेस्टिंग एजेंसी का कहना है कि एक शैक्षणिक कैलेंडर वर्ष को बचाने के लिए और कई उम्मीदवारों के एक वर्ष को बचाने के लिए प्रवेश परीक्षाओं का संचालन जरूरी है।

नई दिल्ली। जहां एक तरफ देश में NEET और JEE परीक्षा को टालने को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है तो वहीं अब अकादमिक जगत ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर NEET और JEE परीक्षा कराए जाने को लेकर का समर्थन किया है। बता दें कि अकादमिक समुदाय के लोगों ने परीक्षा कराए जाने और छात्रों का एक साल खराब होने से बचाए जाने की वकालत की है।

JEE NEET

किसने लिखा पत्र

प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में अकादमिक जगत से जुड़े लोगों ने जेईई/एनईईटी परीक्षा के संचालन का समर्थन किया है। साथ ही कहा है कि उम्मीद है कि छात्रों को एक वर्ष गंवाना नहीं पड़ेगा। परीक्षा के समर्थन में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) के प्रोफेसर सीबी शर्मा, दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्री प्रकाश सिंह, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार के वीसी प्रोफेसर संजीव शर्मा, डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी, गुजरात के वीसी अमी उपाध्याय, केरल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रो-वीसी प्रोफेसर जयप्रसाद आदि ने परीक्षा के समर्थन में पीएम मोदी को पत्र लिखा है।

PM Narendra Modi

अकादमिक जगत से जुड़े लोगों ने यह पत्र उस समय लिखा जब छात्रों और कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने कोरोना संकट के बीच जेईई/एनईईटी परीक्षा कराये जाने का विरोध किया है। सात गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वो सितंबर में प्रस्तावित इस परीक्षा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखकर प्रस्तावित परीक्षा रद्द करने की मांग की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी परीक्षा को लेकर विरोध जता चुकी हैं।

neet 1

गौरतलब है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जेईई और नीट जैसी परीक्षाएं कराये जाने को अनिवार्य बताया है। टेस्टिंग एजेंसी का कहना है कि एक शैक्षणिक कैलेंडर वर्ष को बचाने के लिए और कई उम्मीदवारों के एक वर्ष को बचाने के लिए प्रवेश परीक्षाओं का संचालन जरूरी है। एजेंसी ने कहा है कि अगर इसे शून्य वर्ष मानते हैं, तो हमारी प्रणाली एक सत्र में दो साल के उम्मीदवारों को कैसे समायोजित कर पाएगी।