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ज्ञानवापी मस्जिद केस: 22 साल बाद शुरू हुई काशी विश्वनाथ मंदिर पर सुनवाई

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने पर वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन-फास्‍ट ट्रैक कोर्ट) आशुतोष त्रिपाठी की कोर्ट में सोमवार को सुनवाई टल गई।

नई दिल्ली। वाराणसी की फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में स्वयंभू भगवान विश्वनाथ और यूपी सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के बीच मुकदमा चल रहा है। इस मामले में अंजुमन इंतेजामिया बनारस भी वक़्फ़ बोर्ड के साथ है। मुस्लिम पक्ष की मांग थी कि इस मामले में स्टे बरक़रार रहे लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग ख़ारिज कर दी है।kashi vishwanath temple

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने पर वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन-फास्‍ट ट्रैक कोर्ट) आशुतोष त्रिपाठी की कोर्ट में सोमवार को सुनवाई टल गई। अब एक दिन बाद यानी मंगलवार को इस पर सुनवाई होगी। स्‍वयंभू ज्‍योतिर्लिंग भगवान विश्‍वेश्‍वर की ओर से पंडित सोमनाथ व्‍यास और अन्‍य की ओर से दायर मुकदमे की सुनवाई 22 साल बाद शुरू हुई है।

अब ज्ञानवापी मस्‍जि‍द के पुरातत्‍वि‍क सर्वेक्षण की वादी पक्ष की मांग पर अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी। प्रतिवादियों की याचिका ख़ारिज होने के बाद लोगों में उम्मीद बंधी है कि अब इस मामले में तेज़ी से सुनवाई होगी।kashi vishwanath temple

बता दें, कोर्ट में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामियां मस्जिद के दो पक्षकार आमने-सामने हैं। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ ने सिविल जज कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद सहित विश्वनाथ मंदिर परिसर के आसपास पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपील की है।Gyanvapi Mosque (Great Mosque of Auran Aurangzeb), Varanasi (Benares), Uttar Pradesh, India

प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने याचिका दायर करके कोर्ट से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मांग की है। इस केस में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और अन्य विपक्षी भी शामिल हैं। मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों डॉ. रामरंग शर्मा और पंडित सोमनाथ व्यास की मौत हो चुकी है। जिसके बाद वादी पंडित सोमनाथ व्यास की जगह पर वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी केस का प्रतिनिधित्व कर रहे है।kashi vishwanath

उन्होंने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है। इसलिए यहां पर पुरातात्विक सर्वेक्षण कराया जाए।

इस मामले में भगवान विश्वेश्वर पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील राजेंद्र प्रताप पांडेय पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अंजुमन इंतेजामि‍या बनारस और यूपी सुन्‍नी सेंट्रल चाहता था कि इस कार्यवाही को स्थगित कर दी जाए और आगे कोई सुनवाई न हो। कोर्ट द्वारा उनकी मांगें ख़ारिज किए जाने के बाद अब इस मामले में कार्यवाही चलेगी। नवम्बर 2019 में सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद अब लोगों के भीतर उम्मीद जगी है कि मथुरा व काशी विवाद में भी हिन्दुओं को न्याय मिलेगा।

काशी विश्वनाथ व ज्ञानवापी मस्जिद का मामला हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट, दोनों में ही चल रहा था। बाद में हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमा एक ही कोर्ट में चलेगा और सेशन कोर्ट में जारी रहेगा। वादी पक्ष की तरफ से पूरे ज्ञानवापी परिसर के एएसआई द्वारा भौतिक सर्वे कराने के लिए आवेदन दिया गया था, जिस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई थी। उसका कहना था कि हाईकोर्ट के 1998 में दिए गए आदेश के अनुसार इस मामले में स्टे लगा हुआ है।

क्या है मामला

लोगों का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद में सतयुग से ही भगवान विश्वेश्वर विराजमान हैं और एएसआई के सर्वे के बाद इस मामले में सच्चाई समाने आ जाएगी। लोगों का कहना है कि उस परिसर के मालिक भी भगवान विश्वेश्वर ही हैं। लेकिन एक मंडप को तोड़ कर औरंगज़ेब ने मस्जिद खड़ी कर दी थी।