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UP Assembly: केशव प्रसाद के बयान से तिलमिलाए अखिलेश, ‘बाप’ पर तू-तड़ाक, CM योगी ने सिखाया मर्यादा का पाठ

UP Assembly: केशव प्रसाद जवाब देते हुए कहते है कि लोकभवन में भाजपा का कमल खिल चुका है और वो कमल खिला रहेगा। आगे दोनों नेताओं के बीच बहस छिड़ जाती है।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा में बुधवार को हंगामा देखने को मिला है। दूसरे दिन डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव के बीच जमकर नोकझोंक देखने को मिली। इतना ही नहीं बवाल इतना बढ़ गया की दोनों नेता ‘तू-तड़ाक’ पर उतर आए। दरअसल, विधानसभा को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम मौर्य ने अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा कि, 400 सीटों का दावा करते-करते आप खुद 100 सीटों के अंदर सिमट कर रह गए। आप अभी आरोप लगा रहते थे कि भाजपा सरकार के जाति और धर्मों में रही। बल्कि विपक्ष में भेद डालती है। अब ये मत कहना है कि अगर आपके यहां फूट पड़ जाए या छोड़ जाए तो आप हम पर आरोप मत लगना कि हमने ऐसा कर दिया है। आप अपनी पार्टी और परिवार को संभालिए। आगे वो कहते है कि बहुत सारे आपके नेता मेरे संपर्क में आ चुके है। उधर कुछ  खाली ना हो जाए इसपर चिंता करना।

Akhilesh Yadav And Keshav prasad

आगे वो कहते है कि मैं आपको भरोसा दिलाता की अगले पच्चीस साल आपको सत्ता में नहीं आने दूंगा। अखिलेश यादव जी मैं बहुत पसंद करता हूं। जिसपर सपा प्रमुख जवाब देते हुए कहते है कि माननीय ये हमारे सदस्य लोकभवन में कब बैठेंगे। जिसका केशव प्रसाद जवाब देते हुए कहते है कि लोकभवन में भाजपा का कमल खिल चुका है और वो कमल खिला रहेगा। आगे दोनों नेताओं के बीच बहस छिड़ जाती है। अखिलेश यादव कहते है कि आपके जिले की सड़क किसने बनाई है। जिसके बाद केशव प्रसाद मौर्य जवाब देते हुए कहते है कि सड़क किसने बनवाई, एक्सप्रेस वे या मेट्रो किसने बनाई है जैसा लगता है कि आपने सैफई की जमीन बेचकर ये सड़के बनवाई है। जिसके बाद अखिलेश यादव अप्पा खो देते है और कहते है कि तुम अपने पिताजी पैसा लगते हो सड़क बनाने के लिए।

सीएम योगी आदित्यनाथ का अखिलेश को करारा जवाब

वहीं अखिलेश ने केशव मौर्य पर फिर पर्सनल बयान दे दिया। जिसके बाद बवाल इतना बढ़ा कि बीच-बचाव के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ को सामने आना पड़ा। सीएम योगी ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि, इस सदन के अंदर तू तू मैं-मैं की भाषा का इस्तेमाल ठीक नहीं है। सीएम योगी ने कहा कि सदन में सहमति-असहमति हो सकती है, पर किसी सदस्य के लिए असंसदीय भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।