नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की संभल कोर्ट में दाखिल कानूनी हलफनामे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने जामा मस्जिद कमेटी पर उनके काम में बाधा डालने का आरोप लगाया है। एएसआई ने कहा कि 1920 से संरक्षित स्मारक जामा मस्जिद का मस्जिद समिति के हस्तक्षेप के कारण निरीक्षण करना मुश्किल हो गया है। एएसआई ने मस्जिद कमेटी पर जामा मस्जिद की मूल संरचना के साथ छेड़छाड़ और अवैध निर्माण का आरोप भी लगाया है। एएसआई ने कहा कि समय-समय पर मस्जिद स्थल के सर्वेक्षण के लिए जब भी टीम गई तो आपत्ति जताते हुए रोकने का प्रयास किया गया। इस साल जून में एएसआई अधिकारियों की टीम पुलिस के सहयोग से मस्जिद मे दाखिल हो पाई थी तब वहां पर हुए कुछ नए निर्माण कार्य का पता चला।
In a legal affidavit filed in Sambhal Court, the Archaeological Survey of India (ASI) has accused the mosque committee of obstructing their work. The ASI stated that Jama Masjid, a protected monument since 1920, has been difficult to inspect due to interference from the mosque… pic.twitter.com/EStVXqdOKW
— IANS (@ians_india) November 30, 2024
एएसआई ने कोर्ट में दावा किया है कि मस्जिद परिसर में प्राचीन इमारतों और पुरातात्विक अवशेषों के संरक्षण अधिनियम 1958 के प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है। एएसआई ने बताया कि मुख्य इमारत की सीढ़ियों पर दोनों तरफ स्टील की रेलिंग लगाई गई है। इस संबंध में जनवरी 2018 को संभल कोतवाली में रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी। इसके बाद एएसआई के सुपरिटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट ने मस्जिद कमेटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
फरवरी, 2018 को आगरा मंडल के एडिशनल कमिश्नर ने संभल डीएम को आदेश दिया था कि मस्जिद की सीढ़ियों पर लगाई गई रेलिंग को ध्वस्त कर दिया जाए मगर आज तक उस पर कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकी है। इसके अतिरिक्त मुख्य द्वार से मस्जिद के अंदर आते ही जमीन पर लाल बलुआ पत्थर, संगमरमर और ग्रेनाइट पत्थर की नई फर्श तैयार की गई है। इससे पत्थर से बनी पुरानी फर्श खत्म हो गई। वहीं मस्जिद के बीच में बने हौज का भी नवीनीकरण कर दिया गया है। इस तरह से मस्जिद परिसर में बहुत से अवैध निर्माण हुए हैं।