Border Dispute: असम और मेघालय के 50 साल पुराने सीमा विवाद का हुआ समाधान, शाह की मौजूदगी में दोनों ही राज्यों ने किया ये करार
Border Dispute: इसके अलावा दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई है कि निकट भविष्य में अगर कभी सीमा विवाद देखने को मिला, तो वार्ता का सहारा लिया जाएगा। शाह ने दोनों ही राज्यों के बीच हुए करार के बाद कहा कि आज दोनों ही राज्यों के बीच सीमाओं को लेकर विवाद तकरीबन 70 फीसद तक विमुक्त हो चुका है।
नई दिल्ली। यूं तो बेशुमार मसलों को लेकर विवादों का सिलसिला जारी रहता है, लेकिन सभी की निगाहें इस बात पर टिकी रहती हैं कि आखिर इन विवादों को कैसे सुलझाया जाता है। इस बीच सबसे ज्यादा चर्चित विवादों की फेहरिस्त में सीमा विवाद शुमार है। कहीं दोनों देशों की सीमाओं को लेकर विवाद है, तो कहीं नदियों को लेकर भी विवाद है, तो कहीं भाषाओं को लेकर विवाद है। इसी कड़ी में शायद आपको पता न हो कि मेघालय और असम के बीच भी सीमा को लेकर विवाद है। जिसे लेकर कई मर्तबा दोनों ही राज्यप्रमुखों के बीच वार्ता हो चुकी है, लेकिन कभी समाधान के आसार नहीं दिखें। लेकिन आज दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मैजूदगी में बड़ा करार हुआ है।
इसके अलावा दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई है कि निकट भविष्य में अगर कभी सीमा विवाद देखने को मिला, तो वार्ता का सहारा लिया जाएगा। शाह ने दोनों ही राज्यों के बीच हुए करार के बाद कहा कि आज दोनों ही राज्यों के बीच सीमाओं को लेकर विवाद तकरीबन 70 फीसद तक विमुक्त हो चुका है। बता दें कि शाह ने दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाकर पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है। शाह ने आगे कहा कि आज बहुत बड़ा काम हुआ है। दोनों ही राज्यों के बीच सीमा को लेकर जारी विवाद खत्म गया है। उन्होंने आगे कहा कि पूर्वोत्तर को लेकर जो पीएम मोदी ने सपना देखा था, वह पूरा हो गया है।
आज वह पूरा होने के कागार पर पहुंच चुका है। उन्होंने आगे कहा कि शाह ने बताया कि अब तक लगभग 4 हजार 800 से ज्यादा हथियार कानूनी अथॉरिटी के सामने सरेंडर किए गए हैं। शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए सबसे पहले बड़ा कदम उठाते हुए त्रिपुरा में हथियार बंद गुट के बीच समझौता हुआ था। इससे पहले 16 जनवरी को लेकर ब्रि रियांग समझौता हुआ था। जिसके 34 हजार लोगों को फायदा पहुंचा था। ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में पदग्रहण करने के बाद पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए कई प्रमुख कदम उठाए थे। जिनके सकारात्मक नतीजे आज की तारीख में देखने को मिलते हैं।