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असम : प्रतिबंधित संगठन एनडीएफबी के 1,615 सदस्यों ने किया आत्मसमर्पण, PM मोदी ने किया ट्वीट

आजादी के बाद से ही असम समेत पूरे पूर्वोत्तर में उग्रवाद की समस्या बनी रही है। असम की आबादी में 28% बोडो हैं। ये खुद को असम का मूल निवासी मानते हैं।

नई दिल्ली। गुरुवार को असम के मुख्यमंत्री के सामने प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन एनडीएफबी के 1,615 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया। इस आत्मसमर्पण के पहले भी 23 जनवरी को असम के 8 प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने हथियार डाले थे। दरअसल जनवरी की शुरुआत में एनडीएफबी ने सरकार के साथ अपना अभियान बंद करने का त्रिपक्षीय समझौता किया था।

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सरकार से साथ हुए समझौते के मुताबिक, एनडीएफबी सरगना बी साओराईगवरा समेत सभी उग्रवादी हिंसक गतिविधियां रोकेंगे और सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होंगे। साथ ही, बोडोलैंड  त्रिपक्षीय समझौते में एनडीएफबी, केंद्र सरकार और असम सरकार शामिल थे। समझौते के मुताबिक, अगले तीन साल तक बोडोलैंड क्षेत्र के विकास से लिए 1500 करोड़ रुपए की वित्तीय पैकेज भी दिया जाना है। इसके साथ ही सरकार ने समझौते में उस इलाके में केंद्रीय विश्वविद्यालय समेत कई शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थान खोलने का वादा किया है।

Assam CM

फिलहाल इस समझौते की बात करें तो यह समझौता पिछले 27 सालों में हुआ तीसरा समझौता था। इससे पहले, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन और बोडो पीपल्स एक्शन कमेटी के बीच 1993 में पहला और 2003 में दूसरे बोडो समझौते पर हस्ताक्षर किए गए जिससे बोडोलैंड पार्टनरशिप परिषद-बीटीसी का गठन हुआ। बीटीसी में निचले असम के जिले के चार जिले शामिल है। असम सरकार ने आश्वसान दिया है कि नए संधि बीटीसी क्षेत्र में रहने वाले गैर-बोडो लोगों के हित में बाधा नहीं डालेगी।

सरेंडर करने वाले सदस्य यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा), नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया (एनडीएफबी), आरएनएलएफ, केएलओ, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी), नेशनल संथाल लिबरेशन आर्मी (एनएसएलए), आदिवासी ड्रैगन फाइटर (एडीएफ) और नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ बंगाली (एनएलएफबी) के थे। इनमें उल्फा के 50, एनडीएफबी के 8, सीपीएम का 1, एडीएफ के 178 और एनएलएफबी के 301 सदस्य शामिल रहे थे।

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इसको लेकर पीएम मोदी ने भी अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया है। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि पूज्य बापू की पुण्यतिथि पर असम में शांति और विकास का ऐतिहासिक और नवीन अध्याय जुड़ा है। करीब 50 साल के लंबे इंतजार के बाद बोडो साथियों के साथ समझौता नए दशक की बेहतरीन शुरुआत है। ये समझौता बोडो क्षेत्र में विकास के साथ ही असम की एकता को सशक्त करेगा, असम का भविष्य और उज्ज्वल बनाएगा।

एक दूसरे ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा कि, बोडो संगठनों से ऐतिहासिक समझौते के बाद अब सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बोडो क्षेत्रों का विकास है। इसके लिए 1500 करोड़ रुपये के पैकेज पर जल्द कार्य शुरू करवाया जाएगा। बोडो साथियों का जीवन आसान बने, उन्हें सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ मिले, इस पर विशेष जोर दिया जाएगा।

Pm Modi

उन्होंने कहा कि, बोडो साथियों के साथ समझौता असम के अन्य समुदायों के हितों की रक्षा करते हुए किया गया है। इसमें सभी की जीत हुई है, मानवता की जीत हुई है। ये जीत और उसके लिए हुए प्रयास सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र से प्रेरित हैं, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना से प्रेरित हैं।

आपको बता दें कि आजादी के बाद से ही असम समेत पूरे पूर्वोत्तर में उग्रवाद की समस्या बनी रही है। असम की आबादी में 28% बोडो हैं। ये खुद को असम का मूल निवासी मानते हैं। ये लोग अरुणाचल से सटे हिस्से को बोडोलैंड घोषित करना चाहते हैं। बाहरी लोगों के आने से इनकी आजीविका और संस्कृति पर असर पड़ा है। बोडो उग्रवादियों के संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) का एक धड़ा हिंसा फैला रहा है। दरअसल, लड़ाई अपने प्रभुत्व और क्षेत्र की है। एनडीएफबी का एक धड़ा अलग राज्य चाहता है ताकि आदिवासियों और मुस्लिमों से बोडो समुदाय के हितों की रक्षा की जा सके। असम में उल्फा, एनडीएफबी समेत 35 से ज्यादा उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं।